खान की झौंपड़ियां की ‘एक ही भूल’ अब तक क्यों है जारी?

राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने शुक्रवार को कोटा जिले के सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर और जिला कलक्टर के साथ खान की झौंपड़ियां गांव का दौरा किया और वहां की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेने के बाद यह माना कि एक प्रशासनिक भूल के चलते यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया गया।

-बारां के प्रभारी मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी यह देखकर रह गए चकित

-कृष्ण बलदेव हाडा-

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा जो बारां के जिला प्रभारी मंत्री है, ने शुक्रवार को जिले के खान के झौंपड़ियां गांव का दौरा करने के बाद इस बात पर गहरा आश्चर्य प्रकट किया कि एक प्रशासनिक भूल से कोटा की जगह बारां जिले में शामिल कर लिया गया यह गांव अब तक बारां जिले में क्यों है?
श्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने शुक्रवार को कोटा जिले के सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर और जिला कलक्टर के साथ खान की झौंपड़ियां गांव का दौरा किया और वहां की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेने के बाद यह माना कि एक प्रशासनिक भूल के चलते यह गांव बारां जिले में शामिल कर लिया गया। श्री भरत सिंह ने इस मामले में हाल ही में बारां के प्रभारी मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को पत्र लिखा था और आज जब श्री गुढ़ा बारां के दौरे पर आए तो श्री भरत सिंह से उनकी फोन पर हुई बातचीत के बाद उन्हें वहां बुला लिया और वहां से वह कलक्टर के साथ खान की झोपड़ियां गांव का दौरा करने के लिए गए थे।

नदी के पूर्वी छोर का हिस्सा बारां में तो पश्चिम की ओर का कोटा जिले में शामिल किया गया

दरअसल तीन दशक पहले तक बारां जिला कोटा जिले का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन इस जिले के कोटा से लेकर मध्य प्रदेश की सीमा से सटे छबड़ा, छीपाबड़ौद और कस्बा थाना के विशाल भूभाग में विस्तृत होने के कारण आम आदमी के लिए जिला मुख्यालय पहुंच से बहुत दूर होने और प्रशासनिक मशीनरी के भी प्रभावी तरीके से सरकारी कामकाज करने में आने वाली दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार ने 10 अप्रैल 1991 को कोटा से पृथक बारां जिला गठित किया था।
इस पुनर्गठन से पहले दोनों जिलों की सीमाओं का निर्धारण करने के लिए आमतौर पर दोनों जिलों के बीच होकर बहने वाली काली सिंध नदी को आधार माना था। यानी तय मापदंड के अनुसार नदी के पूर्वी छोर का हिस्सा बारां में तो पश्चिम की ओर का कोटा जिले में शामिल किया गया था। दोनों जिलों के सीमांकन में यह नदी ही मापदंड रही, लेकिन उस समय एक प्रशासनिक चूक से खान की झौंपड़ियां गांव नदी के इस पार कोटा जिले वाले छोर पर होने के बावजूद नवगठित बारां जिले में शामिल कर लिया गया और यह गलती आज तक भारी पड़ रही है।

खान की झौपडिया को कोटा में शामिल करने का अभियान छेडे हैं भरत सिंह

पिछले कई सालों से खान की झौंपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर सांगोद के विधायक श्री भरत सिंह अभियान छेड़े हुए हैं और विधानसभा के भीतर-बाहर सभी मंचो से इस मांग को उठाते रहे हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर हाल ही में सेवानिवृत्त हुए संभागीय आयुक्त दीपक नंदी ने कुछ महीने पहले इस दावे की जांच की थी तो यह माना था कि खान की झौंपड़ियां गांव कोटा जिले में होना चाहिए था जो प्रशासनिक चूक से बारां जिले में शामिल कर लिया गया। श्री नंदी के भौतिक सत्यापन की यह रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दिए जाने के बावजूद अभी तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

खनन गतिविधियों के लिए जाना जाता है यह गांव

असल में यह गांव अपने नाम के अनुरूप खनन गतिविधियों के लिए जाना जाता है और यहां वैध खनन से प्राप्त होने वाला राजस्व बारां जिले के खाते में जाता है। इसके अलावा बड़ी वजह यह भी बताई जाती है कि खान की झौंपड़ियां गांव में अवैध खनन से कहीं अधिक अवैध खनन होता है और इस अवैध खनन माफियाओं को बारां से राजनीतिक संरक्षण हासिल है जिसके चलते ही वह इस गांव को बारां जिले में ही बनाए रखने के लिए बरसों से राज्य सरकार पर सफलतापूर्वक दबाव बनाए हुए हैं, भले ही सरकार कांग्रेस की हो या भारतीय जनता पार्टी की। श्री भरत सिंह लंबे समय से उनकी विधानसभा क्षेत्र सांगोद के नजदीक स्थित इस गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग करते रहे हैं लेकिन उनकी यह मांग अभी दरकिनार की जा रही है जब उनकी पार्टी की सरकार है और तब भी दरकिनार की जा रही थी, जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक कार्यक्रम में भाग लेने बारां आए थे तो वापसी में उनका सड़क मार्ग से बारां से कोटा लौटकर रात्रि विश्राम करना तय हुआ था। यह गांव रास्ते में ही नदी के पास होने के कारण विधायक श्री भरत सिंह ने गांव के बाहर मुख्यमंत्री का स्वागत करने का कार्यक्रम बनाकर उसकी सूचना मुख्यमंत्री के निजी सचिव को भी दे दी लेकिन जब खुफ़िया तंत्र के जरिए यह सूचना पहुंची कि श्री भरत सिंह के आह्वान पर भारी संख्या में लोग स्वागत को पहुंचेंगे और श्री भरत सिंह मुख्यमंत्री से खान की झौंपड़ियां गांव का दौरा करने का आग्रह कर सकते हैं तो मुख्यमंत्री ने सड़क मार्ग से कोटा आने का कार्यक्रम ही रद्द कर दिया था और रात्रि विश्राम बारां में कर अगले दिन हवाई मार्ग से जयपुर लौट गए थे।

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