चितेरों ने कूंची से भरे रंग

-शैलेश पाण्डेय-

कोटा।  कोटा महोत्सव के तहत चम्बल रिवर फ्रंट पर आयोजित पेंटिंग वर्कशॉप में देश भर के ख्यातनाम चितेरे अपनी कूँची से भांति भांति के चित्र उकेरने में जुटे थे। किसी ने राजस्थान को थीम बनाकर चित्र बनाए तो कोई प्रकृति और रिवर फ्रंट की आकृतियों को अपनी कूची से आकार देने में जुटा था। इस तीन दिवसीय वर्कशॉप में चितेरों को चित्र उकेरते देखने के लिए चंबल रिवर फ्रंट पर आने वाले दर्शक उत्साहित और उत्सुक नजर आए।

कई दर्शक और कला प्रेमी तो चित्रकारों से उनके चित्र की थीम, इसको पूर्ण आकार देने में लगने वाला समय जैसी जानकारी लेने में जुटे थे। खास बात यह थी कि ये जितने नामी कलाकार थे उतने ही व्यवहार कुशल भी। हालांकि सवाल जवाब से उनकी एकाग्रता प्रभावित हो रही थी लेकिन कला प्रेमियों के प्रश्नों का नम्रता से जवाब दे रहे थे। जिनके चित्र पूर्णता  के निकट थे उनको देखकर लगता था कि कलाकार ने कितनी तन्मयता से इसे यह रूप दिया है। ज्यादातर की थीम राजस्थान और यहां की संस्कृति थी। एक चित्र में राजस्थानी युवती जिस तरह चेहरे पर पल्लू लिए थे उसे देखकर लगता था कि यह अपने पास के ही किसी गांव की निवासी है।

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कोई चित्रकार रिवर फंट पर योगी की कलाकृति को ब्रश से अंतिम रूप दे रहा था तो कोई चम्बल में बहती नाव को अपने चित्र में स्थान देने की जुगत में था। किसी ने स्त्री और पुरूष को अपनी थीम चुनी थी और कूची से रंग भर रहा था। ब्रश के एक स्टोक से सामान्य आंखों में लज्जा का भाव पैदा कर देना इन चित्रकारों की खूबी थी। रिवर फ्रंट पर घूमने आए पर्यटक और स्कूली बच्चों के लिए इन चितेरों को ध्यानमग्न होकर चित्र पूरे करते देखना अलग ही अनुभव था। कोटा के लिए यह समय कला जगत के लिए बहुत ही खास रहा है क्योंकि गत दिनों गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में तीन दिवसीय चित्रकला वर्कशॉप आयोजित की गई थी। अब रिवर फ्रंट पर यह तीन दिवसीय आयोजन कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए सुखद अनुभव है।

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