बातचीत के दिन गए, अब जवाब देने की बारी

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-भारत का पाकिस्तान को दो टूक संदेश

-द ओपिनियन-

पाकिस्तान में अक्टूबर माह में #शंघाई सहयोग संगठन देशों की शिखर बैठक होने वाली है। भारत भी इसका सदस्य है। इस नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की ओर से शिखर बैठक के लिए निमंत्रण आया है। फिलहाल यह तो नहीं कहा जा सकता कि पीएम मोदी शिखर बैठक में भाग लेंगे या नहीं। लेकिन कई बार पीएम मोदी कूटनीतिक स्तर पर भी अप्रत्याशित फैसले कर लेते हैं और इस बार भी वे अंतिम समय तक क्या फैसला करेंगे फिलहाल कहा नहीं जा सकता। लेकिन इस्लामाबाद फिलहाल भारत का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस टिप्पणी से पढ़ सकता है। विदेश मंत्री ने भारत के पूर्व राजदूत राजीव सीकरी की पुस्तक ‘स्ट्रैटेजिक काउंड्रम्सः रिशेपिंग इंडियाज फॉरेन पॉलिसी‘ के विमोचन के अवसर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का दौर अब खत्म हो चुका है। हमें हर एक्शन का परिणाम भुगतना पड़ता है। इस टिप्पणी के बाद पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि जयशंकर वास्तव में क्या कहना चाहते हैं। पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देता रहेगा और भारत चुप बैठा रहेगा, यह अब नहीं चलेगा। यानी संकेत साफ है कि भारत अब आतंकवाद की अनदेखी नहीं करेगा। आतंकवाद है तो फिर बातचीत कहां से होगी। भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देगा।
विदेश मंत्री जयशंकर सही समय पर सटीक और खरी खरी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर पश्चिमी देशों खासकर यूरोपीय देशों को जवाब हो या अन्य किसी ऐसे ही मुद्दे पर जयशंकर किसी की भी बोलती बंद करने में माहिर हैं। इस बार भी उन्होंने पाकिस्तान को खरी खरी सुनाई है। संकेत साफ है कि बातचीत व आतंक दोनों साथ साथ नहीं चल सकते। जयशंकर ने इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के अलावा अन्य पड़ोसी देशों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक जम्मू-कश्मीर की बात है, अनुच्छेद 370 को हटाया जा चुका है। उन्होंने साफ संकेत दिया कि पाकिस्तान को उसके कर्मों का फल भोगना पड़ेगा । उन्होंने साफ कहा कि हम शांत नहीं बैठेंगे। चाहे कुछ अच्छा हो या बुरा, हम उस पर सही प्रतिक्रिया जरूर देंगे। साफ है कि अच्छी बात होगी तो अच्छी प्रतिक्रिया सामने आएगी और खराब बात होगी तो प्रतिक्रिया भी उसी के अनुसार सामने आएगी।

जयशंकर का कहना था कि पड़ोसी देश भारत को अपने मसलों में तभी शामिल करते हैं जब यह राजनीतिक तौर पर उनके लिए फायदेमंद होता है। उन्होंने बांग्लादेश का जिक्र करते हुए कहा कि भारत वहां की सरकार के साथ ही काम कर आगे बढ़ेगा । हम दोनों देशों के हितों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यानी रिश्ते एकतरफा तौर पर आगे नहीं बढ़ सकते। हम यह बात जानते हैं कि बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव हुए हैं। कई बार बदलाव नुकसानदायक भी होते हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ ही बांग्लादेश के साथ रिश्तों में उतार चढ़ाव आता रहा है।
जयशंकर मानते हैं कि भारत और अमेरिका के रिश्ते अमूल्य हैं चाहे वे आर्थिक हैं या रणनीतिकि। वह कहते हैं, आज अमेरिका हमारी बहुध्रुवीयता को बढ़ाने के लिए अपरिहार्य है, कि अगर हमें निर्णय लेने की उस जगह, उस स्वतंत्रता की आवश्यकता है, ताकि हम आजाद होकर अपने फैसले ले सकें। वह कहते हैं दुनिया बदल गई है, अमेरिका के बारे में हमारी समझ बदल गई है। अब अमेरिका भी हमें समझता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ‘जब रूस की बात आती है, तो भारत को ‘यूरेशियन संतुलन‘ के प्रति भी संवेदनशील होना होगा।

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