
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
बसंत ऋतु में आम की डालियों पर आयी मंजीरियों (बौर) ने वातावरण को मादक बना दिया है। इससे जहां आम के पेड़ निखरे दिख रहे हैं वही आसपास का वातावरण भी बेहद मनमोहक हो गया है।

फागुन के साथ आम का बड़ा पुराना रिश्ता है। आम वसंत का अपना सगा है, क्योंकि उसके बौर की पराग-धूलि से बसंत की कोकिला का कविकंठ कषायित होकर और मादक हो जाता है।

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बसंत ऋतु आते ही आम के पेड़ों में बौर के गुच्छे लटकने लगते हैं और कोयल की कुहू कुहू आवाज से भाग बगीचे गुंजायमान हो जाते हैं