नीतीश कुमार के सामने पार्टी के बाहर और भीतर चुनौतियों का अंबार!

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नीतीश कुमार एक समारोह में शिरकत करते हुए। फोटो सोशल मीडिया

-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षियों को एकजुट करने दिल्ली गए थे लेकिन मुकम्मल रिस्पांस ना मिलने पर बैरंग वापस आ गए। उनका प्रधानमंत्री बनने का सपने भी गंगा में बह गया था।
लेकिन अब इलाज कराकर लालू यादव दिल्ली में पधार चुके हैं और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुर बदलने लगे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीपीआई एमएल के 11वें महाअधिवेशन में विपक्षी एकता पर अपना पक्ष रखते हुए एक बार फिर मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों पर निशाना साधा और 2024 में पटखनी देने के लिए विपक्षियों को एकजुट होने की बात कही। उन्होंने कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बिहार में हम एकजुट हैं, यदि कांग्रेस पार्टी विपक्षी एकता के लिए पहल करे तो हम भाजपा को सौ सीटों के अंदर में समेट देंगे।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अगस्त में भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल नीतीश कुमार ने दिल्ली का दौरा किया था। वह कांग्रेस पार्टी के सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सीपीआई के सीताराम येचुरी, आप नेता अरबिंद केजरीवाल सरीखे नेताओं से मिले थे। इसी कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम की अगुवाई करते हुए बिहार आए थे किंतु केसीआर ने जब हैदराबाद में विपक्षियों को आमंत्रित किया तो नीतीश कुमार उस सभा में नदारद थे।
पटना की एसके मेमोरियल में भाकपा माले द्वारा आयोजित महाधिवेशन में नितीश कुमार के बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि अब वह विपक्षी एकता की बातें तो करते हैं लेकिन अगुवाई वह कांग्रेस के ऊपर छोड़ रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री बनने की आस अबतक नहीं छोड़े हैं।
दुसरी तरफ बिहार में उनके पार्टी जदयू टुट की तरफ बढती नजर आ रहा है। रविवार को जदयू के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में समर्पित कार्यकर्ताओं को बैठक बुलाई जिसमें बिहार के सभी जिले और प्रखंडों से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित हुए। पार्टी कार्यकर्ताओं में मंथन का दौर जारी है जो सोमवार तक चलेगा। पहले दिन की बैठक के बाद कार्यकर्ताओं के रुख से यह स्पष्ट नजर आ रहा है की जनता दल यूनाइटेड में अब टूट तय है, कार्यकर्ताओं की माने तो एक तरफ नीतीश कुमार दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों पर चलने की बात कर रहे हैं लेकिन दुसरे तरफ कर्पूरी ठाकुर के विचार से अलग नवमी फेल तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की बात कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर परिवारवाद के घोर विरोधी थे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि नीतीश कुमार भी 15 साल कुशासन बनाम 15 साल सुशासन के नाम पर 2020 में लालू यादव के खिलाफ चुनाव लड़े जंगलराज और परिवारवाद भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनाव जीत कर आने के बाद नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री किस आधार पर बनाना चाहते हैं ? उनका राष्ट्रीय जनतादल के साथ कौन सा डील हुआ है इसका जवाब देना होगा। जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना नहीं चाहते। कार्यकर्ताओं की मांग थी कि बिहार का नेतृत्व कोई लव-कुश समीकरण या फिर ईबीसी ,ओबीसी या दलित करें। तेजस्वी यादव को जदयू मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि लालू यादव विदेश से इलाज कराकर दिल्ली आ चुके हैं।राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। जैसा कि नीतीश के साथ डील हुई है, वही ं पार्टी बहुतेरे नेताओं भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के घोषणा के खिलाफ है भले वे कैमरे पर नहीं कहते।
बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ लोगों से घिरे हुए हैं, जो पार्टी को कमजोर कर रहे है। यदि मुख्यमंत्री को मेरा चेहरा पसंद नहीं है तो वह लव-कुश समीकरण से किसी अन्य चेहरा को मुख्यमंत्री बनाएं या फिर ओबीसी या दलित समुदाय के नेताओं को मुख्यमंत्री बनाएं लेकिन जिनके खिलाफ जदयू का जन्म हुआ हम उन्हें किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते।
अब सवाल उठता है कि जो मुख्यमंत्री अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ नहीं रख सकते वह विपक्षियों को इकट्ठा कैसे कर सकते हैं और आगामी 2024 में नरेंद्र मोदी को महज सौ सीटों पर कैसे समेट सकते हैं!
बहरहाल बिहार में समाधान यात्रा कर चुके नीतीश कुमार के सामने पार्टी के बाहर और भीतर चुनौतियों का अंबार है। बिहार में कानून व्यवस्था की हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं भ्रष्टाचार के आगोश में है। महागठबंधन के दलों में सामंजस्य का घोर अभाव है। महागठबंधन के ही सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता नीतीश कुमार को अपना नेता नहीं मानते। अब तक नीतीश कुमार पर हमलावर राष्ट्रीय जनता दल के नेता सुधाकर सिंह, जगदानंद सिंह दिनेश मंडल चंद्रशेखर यादव पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। नेता भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। महागठबंधन में शामिल दल भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। चारों तरफ त्राहिमाम है ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा नरेंद्र मोदी को 100 सीटों के अंदर रोक देने की बात सुनने में हास्यपद प्रतीत हो रही है।

(लेखक बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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