भरत सिंह ने करवाया मुंडन, मुख्यमंत्री को भेंट करेंगे केश

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सिर मुंडवाए हुए भरत सिंह कुंदनपुर

-कृष्ण बलदेव हाडा –

kbs hada
कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मंगलवार को अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘ईमान के मर जाने पर’ हिंदू धार्मिक रीति-रिवाज का हवाले से अपना मुंडन करवा लिया और कहा है कि वे यह केश मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं जिसे वे तुच्छ भेंट समझकर स्वीकार करें।
श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा आगमन पर उनकी ही सरकार के एक मंत्री प्रमोद जैन भाया के कथित भ्रष्टाचार और उसके प्रति मुख्यमंत्री की अनदेखी के खिलाफ कोटा में गुमानपुरा स्थित अपने आवास ‘भीम निवास’ पर आज तीसरे पहर उस समय प्रदर्शन करने और भ्रष्टाचार के प्रतीक स्वरूप रावण के पुतला दहन करने के कार्यक्रम की घोषणा की थी जब मुख्यमंत्री चंबल रिवर फ़्रंट का उद्घाटन करने के उद्घाटन करने के लिए आएंगे लेकिन मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम रद्द होने के बाद श्री भरत सिंह ने अपने प्रदर्शन और रावण के पुतले के दहन के कार्यक्रम को यथावत रखा है लेकिन साथ ही उन्होंने आज अपना मुंडन संस्कार करवा लिया।

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श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा है कि -“आपका ‘ईमान मर जाने पर’ मैं मुंडन करवा कर अपने केश आपको भेंट कर रहा हूं। कृपया यह तुच्छ भेंट स्वीकार करें व महात्मा गांधी को याद कर उनके बताये सात पाप पर चिंतन करें।” उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह भी याद दिलाया कि- मुख्यमंत्री पद स्थाई नहीं होता है।
मुख्यमंत्री को अपने संबोधन में श्री भरत सिंह ने यह भी कहा है कि-” कोटा रिवर फ्रंट के उद्घाटन पर आपका कोटा में स्वागत करने के स्थान पर मैंने अपने निवास पर सांगोद के काग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ गृह मंत्री मुर्दाबाद के नारे लगाने की घोषणा की है।” उनका कहना है कि गृह मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों पर अत्याचार रोक पाने में विफल साबित हुए हैं। इसके अलावा वे मुख्यमंत्री के रूप में अपने मंत्री प्रमोद जैन भाया के कथित भ्रष्टाचार के प्रति उनकी मांग को स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बारां जिले में ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में खनन विभाग में किए जा रहे कथित भ्रष्टाचार की अनदेखी कर रहे हैं।
श्री भरत सिंह का यह भी आरोप है कि वे मुख्यमंत्री से लगातार कोटा और बारां जिले की सरहद पर स्थित खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं मुख्यमंत्री ने सहजता से राजस्थान में 19 नए जिले बनाने की घोषणा तो कर दी और एक बहुत ही अच्छा तोहफा राज्य की जनता को दिया लेकिन उनकी एक गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने की मांग को अब तक स्वीकार नहीं किया है जबकि उनकी मांग न केवल वाजिब है बल्कि पूर्व में संभागीय आयुक्त और कोटा के जिला कलक्टर की ओर से की गई अपनी जांचों में इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में प्रशासनिक रिपोर्ट भी राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है लेकिन उसके बावजूद तीन दशकों से भी अधिक पहले प्रशासनिक त्रुटि की वजह से कोटा की जगह बारां जिले की सीमा में शामिल कर लिये गए खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने की उनकी मांग की लगातार अनदेखी की जा रही है।

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