माध्यमिक शिक्षा का हाल: स्कूलों में घटने लगा नामांकन

 स्टाफिंग पैटर्न की नहीं की समीक्षा

बीकानेर. माध्यमिक शिक्षा विभाग में स्टाफिंग पैटर्न लागू होने के बाद एक बार भी समीक्षा नही की गई है, जबकि इसे लागू करते समय हर दो साल बाद इसकी समीक्षा करने का प्रावधान किया गया था। माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में पिछले कुछ सालों में करीब 15 लाख विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ा। इससे गदगद विभाग और सरकार ने अपनी पीठ भी खूब थपथपाई, लेकिन अब जब इस शिक्षण सत्र में करीब पांच लाख विद्यार्थियों का नामांकन कम होने की बात सामने आ रही है, तो इसके लिए जिम्मेदार कारणों में से एक कारण रिक्त पदों का न भरा जाना भी माना जा रहा है। शिक्षा जगत में आम चर्चा है कि अगर रिक्त पदों को नहीं भरा जाता है और स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं की जाती है, तो सरकारी स्कूलों में आने वाले वर्षों में नामांकन में और कमी आ सकती है।

प्रारंभिक शिक्षा में तो 2015 से स्टाफिंग पैटर्न लागू होने के बाद 3 बार समीक्षा

माध्यमिक शिक्षा की तरह ही प्रारंभिक शिक्षा में भी स्टाफिंग पैटर्न लागू किया गया था। प्रारंभिक शिक्षा में तो 2015 से स्टाफिंग पैटर्न लागू होने के बाद 3 बार समीक्षा हो चुकी है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा में एक बार भी स्टेज पैटर्न की समीक्षा नहीं की गई है। शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला दिसंबर-2021 में माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में भी जल्दी ही समीक्षा करने की बात कह चुके हैं। इस बात को कहे हुए भी करीब 8 माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा को लेकर कोई गंभीर पहल नहीं की गई है।

नामांकन बढ़ने के हिसाब से शिक्षको की जरूरत है, वहां शिक्षकों का अभाव

जिन स्कूलों में नामांकन बढ़ने के हिसाब से शिक्षको की जरूरत है, वहां शिक्षकों का अभाव हो रहा है और जहां नामांकन घटा है, उन स्कूलों में शिक्षक अधिशेष हो रहे हैं। अब हालात यह हैं कि जिन स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है, वहां से विद्यार्थी स्कूल छोड़कर जा रहे हैं, जिसके कारण राज्य के स्कूलों में पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले इस शिक्षण सत्र में करीब 5 लाख विद्यार्थियों का नामांकन कम हो गया है।

क्रमोन्नत विद्यालयों में छह माह बाद भी वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता पदों का सृजन नहीं

सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों का ग्राफ भी बढ़ने लगा है, क्योंकि क्रमोन्नत विद्यालयों में छह माह बाद भी वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता पदों का सृजन नहीं हुआ है। इसके अलावा पिछले दो साल से विभाग में विभिन्न संवर्गों में विभागीय पदोन्नतियां भी नहीं हो पाई हैं और न ही कोई सीधी भर्ती हुई है। प्रारम्भिक शिक्षा में लेवल प्रथम के 15 हजार पदों के अलावा माध्यमिक शिक्षा में किसी भी वर्ग की डीपीसी व सीधी भर्ती नहीं हो पाई है। सरकार ने विद्यालय क्रमोन्नत तो कर दिए, लेकिन क्रमोन्नत विद्यालयों में शिक्षकों के पद सृजित नहीं होने व शिक्षकों की पदोन्नतियां नहीं होने से विद्यार्थियों का सरकारी स्कूलों से मोह भंग हो रहा है।

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