
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा 4 अगस्त। “न सूत न कपास, फिर भी जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा।” यह पुरानी कहावत वन विभाग पर सटीक बैठती है जिसने अभी तक न तो कोटा, झालावाड़ जिलों एवं रावतभाटा क्षेत्र में विस्तारित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बसे गांवों को विस्थापित किया है और ना ही उसके पास इस टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने की कोई सटीक कार्य योजना है लेकिन हास्यास्पद पहलू यह है कि विभाग करीब तीन माह पहले ही इस टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए जंगल सफारी शुरु करने की बात कर चुका है।
बिना किसी तैयारी के चार रूट तय कर डाले
एक जिम्मेदार नेता ने दिल्ली में बैठकर गत 22 मार्च को राज्य सरकार के मातहत काम करने वाले वन विभाग के अधिकारियों की बैठक करके मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी के लिए रूट तय करने के कथित निर्देश दे डाले और वन विभाग तो इससे भी एक कदम आगे बढ़ निकला। उसने बिना किसी तैयारी के नाम गिनाते हुए न केवल चार रूट तय कर डाले बल्कि यह भी बता डाला कि यह जंगल सफारी दो पारियों में होगी और प्रत्येक पारी में 16 वाहन उपलब्ध होंगे, जिसमें दिव्यांगों के लिए एक विशेष वाहन भी शामिल होगा और यह सभी वाहन पांच वर्ष से अधिक पुराने नहीं होंगे। साथ ही यह भी कहा कि 20 प्रतिशत वाहन 50 लाख रुपए से अधिक कीमत के प्रीमियम श्रेणी के होंगे। वन विभाग ने इस टाइगर रिजर्व के बफर जोन में अपनी तरफ से जो गाइडलाइन तय करके जंगल सफारी के लिए चार रूट तय किये थे, उनमें बोरावास रेंज में बंधा- बग्गी रोड- अखावा- बलिंड़ा- बंदा मार्ग और कोली पुरा रेंज में नागिनी चौकी चेक पोस्ट-कालाकोट-दीपपुरा-घाटा कान्या तालाब-नागिनी चौकी चैक पोस्ट के दो मार्ग थे। तीसरा मार्ग मंदरगढ़ बैरियर-मंदरगढ़ तालाब-केशोपुरा, रोझातालाब-मंदरगढ़ बैरियर मार्ग का तय होना बताया गया था। चौथा जंगल सफारी रूट दरा रेंज में मौरु कलां-बंजर-रेतिया तलाई-पटपड़िया-सावन भादो का किया था।
जंगल सफारी रूट पर अभयारण्य क्षेत्र में गांव आबाद
वन विभाग घोषणायें करने के मामले में यहीं नहीं रुका बल्कि चंबल नदी में स्थित राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य तथा रथकांकरा रेंज में भी पर्यटन रूट खोलने की स्वीकृति प्रदान कर डाली। अब जमीनी हकीकत यह है कि इन तथाकथित तय जंगल सफारी रूट पर अभी भी अभयारण्य क्षेत्र में गांव आबाद हैं और उनमें से ज्यादातर गांव में पशुपालक अपने पालतू मवेशियों के साथ निवास करते हैं। कुछ रहवासी किसान वर्ग में भी शामिल किए जा सकते हैं, जिन्होंने वन क्षैत्र में ही विभागीय जमीन फ़ाड ड़ाली है और वहां बीते कई दशकों से खेती करते आ रहे हैं। इस तथाकथित जंगल सफारी के लिए प्रत्येक पारी में पर्यावरण के अनुकूल रंगों के 16 वाहन उपलब्ध करवाने का दावा करने वाले वन विभाग के पास पिछले मई माह में ही तय कर लिए गए इन चार मार्गों पर अभी तक इस सफारी के बारे में कोई चाक चौबंद व्यवस्था नहीं है और यक्ष प्रश्न भी यही है कि जिस अभयारण्य के एक क्लोजर में कैद बाघिन के अलावा दूसरा कोई बाघा या बाघिन नहीं है, यदि वहां जंगल सफारी शुरू कर दी गई तो पर्यटक क्या देखने आएंगे? राज्य वाइल्ड़ लाइफ़बोर्ड़ के सदस्य और इसी अभ्यारण्य क्षेत्र से सटे केटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर तो बार-बार कहते आ रहे हैं कि मुकुंदरा देश का इकलौता बाघ रहित टाइगर रिजर्व है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)