
-कृष्ण बलदेव हाडा-
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में आए ताजा भूचाल को लेकर प्रदेश के प्रभारी अजय माकन संदेह के घेरे में आ गए हैं। यहां तक कि अजय माकन के साथ राजस्थान से कांग्रेस विधायकों की नब्ज टटोलने आए केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे तक ने अजय माकन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।

राजस्थान के ताजा घटनाक्रम ने गांधी परिवार तक को सकते में ला दिया है और बीते दशकों में यह संभवत यह पहला मौका आया है जब किसी राज्य का मुख्यमंत्री तय करने के मामले में गांधी परिवार के निर्देशों को न केवल चुनौती मिली बल्कि उन्हें बैक फुट पर आना पड़ा। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को दी गई मौखिक रिपोर्ट के बाद वे अजय माकन कि प्रदेश की सत्ता के स्थानांतरण का तरीका और अपनाई गई रणनीति को लेकर उनसे काफी खफा बताई जाती हैं क्योंकि अजय माकन ने अपने दो दिन के जयपुर प्रवास के दौरान अपनाए रवैये के बाद गांधी परिवार के बरसों से विश्वस्त रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गहलोत विश्वस्तों में शामिल वरिष्ठ काबीना मंत्री शांति धारीवाल और नजदीकी धर्मेंद्र सिंह राठौड़ की कुशल रणनीति के कारण कांग्रेस की राजनीति में वर्चस्व के मामले में गांधी परिवार को पहली बार नैपथ्य में धकेला है।
दबाव की रणनीति भारी पड़ी
जानकार सूत्रों ने बताया कि गांधी परिवार की मंशा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व की बागड़ोर को अशोक गहलोत को सौंप कर प्रदेश की सत्ता शांतिपूर्ण तरीके से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को सौंपने की थी ताकि राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में होने वाले चुनाव में गहलोत के नेतृत्व में पूरी ताकत झोंकी जा सकते हैं। गहलोत को वैसे भी कांग्रेस की राजनीति के हल्के में गुजरात के मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। सूत्रों ने बताया कि सचिन पायलट ने गहलोत के स्थान पर पार्टी नेतृत्व की प्रदेश में सत्ता की कमान उन्हें ही सौंपे जाने की रणनीति की जानकारी होने के बावजूद अजय माकन के जरिए प्रदेश के कांग्रेस विधायकों पर दबाव की रणनीति बनाई जो अंततः उन्हें ही भारी पड़ी। अजय माकन ने जब विधायकों से राय पूछने की जगह थोपने की कोशिश की तो अशोक गहलोत के विश्वस्त साथी शांति धारीवाल, धर्मेंद्र सिंह राठौड़, महेश जोशी सक्रिय हो गए और गहलोत के पक्ष में संख्या बल खड़ा करके अजय माकन को ही नही बल्कि गांधी परिवार तक को बैक फुट पर ला दिया।
सोनिया गांधी के तेवर नरम पड़े
माकन के एक तरफ़ा रवैये से खफ़ा मलिकार्जुन खड़गे ने व्यक्तिगत रूप से श्रीमती सोनिया गांधी को भी मौखिक शिकायत की है और इसी के बाद सोनिया गांधी के तेवर नरम पड़े हैं और गहलोत के ही मुख्यमंत्री बने रहने के प्रबल आसार हैं। हालांकि सचिन पायलट अभी भी दिल्ली में पड़ाव डाले हुए है जयपुर में फ़तह के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज रात विशेष विमान से दिल्ली पहुंच गये हैं और कल उनकी पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष समेत पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात संभव है और उनकी कोशिश यही होगी कि आलाकमान को यह समझाया जा सके कि प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों ने उन्हें ही मुख्यमंत्री के रूप में चाहा है और यही लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। यही जानने तो पर्यवेक्षक नियुक्त होते है। इसे आलाकमान के प्रति बगावत नहीं माना जाए।
गहलोत की दिल्ली यात्रा पूर्व प्रस्तावित
इस बीच कोटा के प्रभारी मंत्री परसादी लाल मीणा ने आज बताया कि बगावत तो उन लोगों ने की थी जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के न्यौते पर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी सरकार की मानेसर में मेजबानी को कबूला था। ऐसे किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में कैसे स्वीकार किया जा सकता है? पार्टी नेतृत्व के नाफरमानी करने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की तो राजस्थान में भी पंजाब जैसे हालात बन जाएंगे।
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नई दिल्ली की यात्रा को लेकर लगाए जा रहे कयासों के बीच पार्टी के सूत्रों ने आज राजधानी में बताया कि गहलोत की दिल्ली यात्रा आकस्मिक नहीं है बल्कि पूर्व प्रस्तावित है क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में आए ताजा भूचाल से पहले गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपना नामांकन भरने के लिए 29 सितंबर को ही दिल्ली आना था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

















