
-देवेंद्र यादव-

राजस्थान विधानसभा की सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस के दो नेताओं के लिए प्रदेश की राजनीति में उभरने का बड़ा अवसर है। पार्टी हाई कमान ने प्रदेश कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाकर के भेज दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही राजस्थान की सात विधानसभा सीटों के उप चुनाव होने हैं। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्त रहेंगे। दोनों नेताओं की महाराष्ट्र चुनाव में व्यस्तता के कारण अब राजस्थान में होने वाले सात विधानसभा चुनाव क्षेत्र के उप चुनाव को जिताने का दारोमदार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के कंधों पर है। डोटासरा और जूली के पास यह बड़ा अवसर है कि वह पार्टी हाई कमान को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाते हुए विधानसभा की सातों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताकर बताएं।

हालांकि राजस्थान की जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से अधिकांश सीट कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के राजनीतिक प्रभाव वाली हैं। इन सीटों को बगैर पायलट के जीतना संभव नहीं है, लेकिन कांग्रेस को प्रदेश में बड़ा नेता बनाने के लिए, पार्टी के अन्य नेताओं को अवसर देना होगा। गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली दोनों ऐसे नेता हैं जो जाट और दलित समुदाय के बीच बड़े नेता बन सकते हैं जिसका फायदा कांग्रेस को भविष्य में चुनाव के समय मिल सकता है। राजस्थान में दलित और जाट समुदाय के बड़े नेताओं का अभाव है। कांग्रेस के पास जाट और दलित समुदाय में अभी इतने बड़े नेता मौजूद नहीं है जो इस समुदाय के लोगों को आकर्षित कर चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकें।
राजस्थान में जाट और दलित मतदाताओं की संख्या और विधानसभा में सीट भी अधिक है। दलित समुदाय की ज्यादातर विधानसभा सीट लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में चली आ रही हैं। यदि कांग्रेस को उन सीटों को पुनः हासिल करना है तो े राजस्थान में दलित समुदाय से किसी नेता को आगे बढाना होगा। कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता टीकाराम जूली को बनाया है जो दलित समुदाय से है।

टीकाराम जूली राजस्थान में बड़े दलित समुदाय के प्रमुख नेता बन सकते हैं। पार्टी हाई कमान ने जूली को विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाकर बड़ा अवसर दिया है। अब टीकाराम जूली को बताना होगा कि वह हाई कमान के विश्वास पर कितना खरे उतरते हैं। उनके पास राजस्थान में संपन्न होने वाले विधानसभा के उपचुनाव एक बड़ा अवसर है। जिसमें वह कांग्रेस को जिताकर अपनी राजनीतिक ताकत को साबित कर सकते हैं। जिन विधानसभा सीटों के उपचुनाव होने हैं उनमें दलित मतदाताओं की संख्या भी खासी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)