
-देवेंद्र यादव-

देश के राजनीतिक गलियारों और मुख्य धारा की मीडिया और सोशल मीडिया पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा पर चर्चा चल रही थी। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी द्वारा अमेरिका में दिए बयानों पर कांग्रेस और राहुल गांधी पर राजनीतिक हमले कर रहे थे और देश को बता रहे थे कि राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर देश को बदनाम कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी को उनके दो बयानों एक सिखों पर दिया बयान दूसरा आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर भाजपा के नेता कांग्रेस और राहुल गांधी पर आक्रामक दिखे। कांग्रेस राहुल गांधी के बचाव की मुद्रा में नजर आई। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी के लिए अंग्रेजी बैरन बन गई, और इसका फायदा भाजपा के नेताओं ने उठाया, क्योंकि कांग्रेस आरोप लगा रही है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी के बयान को तोड़ मरोड़ कर जनता के बीच पेश कर रही है। राहुल गांधी ने अमेरिका में सिखों और आरक्षण पर ऐसा कुछ भी नहीं बोला था जैसा भाजपा बता रही है, क्योंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या अंग्रेजी नहीं जानती है इसलिए जनता ने राहुल गांधी का भाषण नहीं सुना और जो बात भाजपा के नेता बता रहे हैं उसे ही सच मान रही है। यहां कांग्रेस के रणनीतिकारों की भी एक बड़ी कमी देखी गई। जब उन्हें मालूम था कि भाजपा राहुल गांधी के बयान को तोड़ मरोड़ कर जनता के बीच पेश करेगी और राहुल गांधी को बदनाम करेगी, तो कांग्रेस के रणनीतिकारों को ध्यान रखना चाहिए था। वह राहुल गांधी के भाषण और संवाद का तुरंत हिंदी में अनुवाद करती और जनता के बीच पेश करती। मगर कांग्रेस के रणनीतिकारों ने यह सब नहीं किया और भारतीय जनता पार्टी को राहुल गांधी पर हमला करने का मौका दिया।
देश में चर्चा राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा पर हो रही थी। भारतीय जनता पार्टी के नेता राहुल गांधी को उनकी अमेरिका यात्रा को लेकर राजनीतिक हमले कर रही थी, भाजपा ने राहुल, गांधी के दो बयानों को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया। भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस और राहुल गांधी को वह घेर लेंगे और दलित आदिवासी ओबीसी के लोग राहुल गांधी और कांग्रेस के विरोध में खड़े हो जाएंगे, मगर मगर ऐसा हुआ नहीं। हां मायावती ने राहुल गांधी के बयान पर विरोध में प्रतिक्रिया की मगर दलित आदिवासी नाराज नहीं हुए। इसकी वजह यह रही की जैसे ही भाजपा के नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे को उठाया उसके तुरंत बाद ही राहुल गांधी ने अपना स्पष्टीकरण दे दिया। दूसरा मुद्दा राहुल गांधी के द्वारा सिखों को लेकर दिया गया बयान था, भाजपा ने अपने सिख नेताओं को राहुल गांधी के बयान के विरोध में मैदान में उतारा मगर भाजपा के सिख नेता मारवाह ने राहुल गांधी पर ऐसा भाषण दे दिया जिससे कांग्रेस आक्रामक हो गई। भाजपा ने जब देखा कि अमेरिका में राहुल गांधी की यात्रा को लेकर राहुल गांधी को घेरा नहीं जा सकता है तब अचानक चर्चा होने लगी, गणपति आरती की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के घर पहुंचे और गणेश आरती की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की जनता ने जब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे तब उन्हें काली टोपी में और जब वह प्रधानमंत्री बने उसके बाद चुनाव में भाजपा का प्रचार करते हुए केसरिया टोपी में देखा। मगर देश की जनता ने शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार सफेद टोपी में देखा। राजनीतिक गलियारों और मुख्य धारा की मीडिया से राहुल गांधी की विदेश यात्रा गायब हो गई और उसका स्थान गणेश आरती ने ले लिया।अब देश में चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के घर क्यों गए इस पर हो रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















