
-बृजेश विजयवर्गीय-
एनसीआर के विभिन्न शहरों से आये 10 से 15 वर्ष की आयु वर्ग के तकरीबन 100 बच्चों ने एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2041 में पर्यावरण सम्बन्धी खामियों पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, राजस्थान भवन, हरियाणा भवन और शहरी विकास एवं आवासन मंत्रालय के दफ्तर पर जाकर अपनी आपत्ति जताई।

एनसीआर रीजनल प्लान 2041 में अरावली, वन क्षेत्र, प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र शामिल नहीं
दिल्ली के प्रगति पब्लिक स्कूल की आठवीं कक्षा की छात्रा चाहत सिक्का ने कहा कि हमें अपने माता-पिता और शिक्षकों से पता चला है कि एक नया एनसीआर रीजनल प्लान 2041 प्रस्तावित किया गया है जिसमें अरावली, वन क्षेत्र, प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र जैसे शब्द शामिल नहीं हैं। यह बहुत परेशान करने वाली बात है। दुनिया के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में से 12 एनसीआर के शहर हैं। हमारे कई दोस्त और परिवार के सदस्य सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं, और एनसीआर रीजनल प्लान 2041 से वन क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य ही हटा दिया गया है। अरावली और अन्य प्राकृतिक संरचनाएं स्वच्छ हवा और पानी मुहैया करने के लिए बहुत आवश्यक है। अगर इन पर्यावरणीय सम्पदाओं को संरक्षित नहीं किया गया तो भारत का एनसीआर का क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा।
12000 विद्यार्थियों और 900 से अधिक शिक्षकों ने लिखे हैं पत्र
एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदुषण और पानी की कमी से चिंतित एनसीआर क्षेत्र के विभिन्न जिलों के विद्यालयों से 12000 विद्यार्थियों और 900 से अधिक शिक्षकों ने विभिन्न संबंधित सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों को पत्र लिखे हैं। दिल्ली , हरियाणा से गुडगाँव, फरीदाबाद, उत्तर प्रदेश से बागपत और राजस्थान से अलवर जिले के कई विद्यालयों ने भारत के प्रधानमंत्री, पर्यावरण मंत्री, शहरी विकास मंत्री, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड और दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को पत्र पर हज़ारों हस्ताक्षरों के माध्यम से एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2041 से पर्यावरण और जैव विविधता पर होने वाले नकारात्मक असर पर चिंता जताई, और क्षेत्रीय योजना 2041 को पर्यावरण के नज़रिये से मजबूत करने पर सुझाव दिए।
प्रति हेक्टेयर 2 मिलियन लीटर पानी को रिचार्ज करने की क्षमता
गुरुग्राम के स्कॉटिश हाई स्कूल की कक्षा 7 की छात्रा एन्या जैन ने कहा कि अपनी प्राकृतिक दरारों के माध्यम से, अरावली पहाड़ियों में हर साल जमीन में प्रति हेक्टेयर 2 मिलियन लीटर पानी को रिचार्ज करने की क्षमता है, इस प्रकार यह एक महत्वपूर्ण जल रिचार्ज क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। गुड़गांव, फरीदाबाद, दिल्ली, दक्षिण हरियाणा, राजस्थान के पानी की कमी वाले इलाकों के लिए जहां भू जल का इस्तेमाल रिचार्ज से 300 फीसदी अधिक है और भूजल स्तर चिंताजनक रूप से कम है, अरावली साफ़ पानी के लिए हमारी जीवन रेखा है।
जैव विविधता पर बुरा प्रभाव
फरीदाबाद के डीपीएस स्कूल से तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र कुशाग्र वाधवा ने कहा कि मैं अरावली कि जंगलों और पहाड़ों पर कई बार पैदल सैर करने गई हूँ और मैंने कई बार सियार, मोर, उल्लू, मॉनिटर छिपकली, सांप, तितलियों के विभिन्न प्रजाति, पतंगे और सुंदर कीड़े देखे हैं। दिल्ली-एनसीआर के आसपास की ये पहाड़ियाँ और जंगल एक महत्वपूर्ण वन्यजीव आवास और गलियारा हैं और देशी पेड़ों, झाड़ियों, घास और जड़ी-बूटियों की 400 से ज्यादा प्रजातियों के साथ जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं। 200 से अधिक देशी और प्रवासी पक्षी प्रजातियां, 100 से अधिक तितली प्रजातियां, 20 से अधिक सरीसृप प्रजातियां और 20 से अधिक स्तनपायी प्रजातियां जिनमें तेंदुए, नीलगाय, हाइना, सिवेट बिल्लियों, बंदर इत्यादि शामिल हैं। एनसीआर ड्राफ्ट योजना 2041 अगर लागू हो गया तो ये सारे जीव जंतुओं का घर कहलाने वाले पहाड़ और जंगल खतरे में घिर जायेंगे, और फिर इन सारे जानवर, पक्षिओं आदि का क्या होगा ?
हमारी चिंताओं से अवगत कराएंगे
गुरुग्राम के शिव नादर स्कूल के ग्रेड 5 के छात्र द्रोण केसवानी ने कहा कि हमने आज राजस्थान भवन में चीफ रेजिडेंट कमिश्नर और एडिशनल रेजिडेंट कमिश्नर से मुलाकात की। हज़ारों हस्ताक्षर किये हुए पत्रों के तकरीबन 500 पृष्ठों के पुलंदे के साथ, हमने गोया खैर और दुधी के देशी अरावली पौधे इस उम्मीद में प्रस्तुत किए कि वे हमारे भविष्य के हित में काम करें और अरावली और प्राकृतिक संरचनाओं का संरक्षण करें। ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहे भारत के युवा नागरिकों के रूप में, हम चाहते हैं कि हमारी सरकार दिल्ली-एनसीआर के वन कवर लक्ष्य को राष्ट्रीय औसत 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम करे। अधिकारियों ने कहा कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री को हमारी चिंताओं से अवगत कराएंगे।
चर्चा के लिए हमें आमंत्रित करने का वायदा
गुरुग्राम के पाथवेज स्कूल की कक्षा 9 की छात्रा माही ने बताया कि हमने आज और कल मिले दोनों सरकारी मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ एनसीआर ड्राफ्ट प्लान 2041 में पर्यावरणीय कमियों के बारे में अपनी चिंताओं पर चर्चा की। मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने हमें बताया कि वह छात्रों की आवाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक चर्चा के लिए हमें आमंत्रित करेंगे। हमें उम्मीद है कि मंत्री जी ने आज हमसे जो वादा किया है, उस पर खरे उतरेंगे।
पर्यावरण विशेषज्ञों को बोर्ड में शामिल किया जाए
विभिन्न विद्यालयों के क्षेत्रों द्वारा भेजे पत्रों में लिखा है कि भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले युवा नागरिकों के रूप में, हम आपसे अनुरोध करते हैं कि एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2041 में पर्यावरण से संबंधित खामियों को हटाकर हमारी अरावली और इसके साथ-साथ हमारे भविष्य को भी बचाएं। अरावली, वन क्षेत्र, प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र सभी को नई एनसीआर ड्राफ्ट योजना 2041 में रखा जाना चाहिए। हम अनुरोध करते हैं कि हमारे पर्यावरणीय संपदा अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण और जैव विविधता के दृष्टिकोण से एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2041 को मजबूत करने के लिए पर्यावरण विशेषज्ञों को बोर्ड में शामिल किया जाए। भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वर्तमान और भावी पीढ़ियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है।
जल्द ही थार रेगिस्तान दिल्ली तक पहुँच जायेगा
“अवैध खनन से अरावली पहाड़ियों को लगातार बहुत नुकसान हो रहा है। राजस्थान से आने वाली रेतीली हवाओं को रोकने वाली अरावली पर्वत श्रंखला अगर इसी तरह क्षतिग्रस्त होती रही तो जल्द ही थार रेगिस्तान दिल्ली तक पहुँच जायेगा। अरावली के बिना, भारत का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अनुपयोगी हो जाएगा। अरावली पहाड़ियों और जंगलों और अन्य प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र जैसे आर्द्रभूमि, नदियों, उनकी सहायक नदियों और बाढ़ के मैदानों, झीलों, प्राकृतिक और मानव निर्मित जल निकायों आदि को एनसीआर रीजनल प्लान 2041 के तहत संरक्षण प्राप्त होना चाहिए, जिससे की एनसीआर क्षेत्र के सभी जिलों की जल सुरक्षा और प्रदुषण रहित हवा और जैव विविधता के लिए अनुकूल परिस्थिति सुनिश्चित हो सके। ”अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन से केशव जैनी ने कहा कि अरावली बचाओ सिटीजन्स मूवमेंट ने समाज के विभिन्न वर्गों को एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2041 के बारे में अवगत करने और उस पर सरकार को आपत्ति और सकारात्मक सुझाव भेजने के लिए एक अभियान शुरू किया है। जिससे कि इस योजना से पर्यावरण संबंघी खामियों को दूर कर, इसे प्रकृति, जैव विविधता और जीवन की गुणवत्ता के दृश्टिकोण से और मज़बूत बनाया जा सके।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पर्यावरण, वन जीव और सामाजिक सरोकारों से जुडे कार्यकर्ता हैं)