कांग्रेस की बैठकः चुनावी मुद्दों को धार देने की रणनीति तय

-द ओपिनियन डेस्क-

लोकसभा चुनाव के बाद से आत्मविश्वास से भरी कांग्रेस ने चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी हुंकार भर ली है। पार्टी ने मंगलवार को एक अहम बैठक की जिसमें सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, पार्टी के सभी महासचिव और राज्यों के पार्टी प्रभारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में चार राज्यों में होने वालीे विधानसभा चुनावों सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई और उसने अमेरिकी शाॅर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर 22 अगस्त को देशभर में प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालयों को घेराव करने का फैसला किया है। हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप के रिश्तों को लेकर सीबी अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच और उनके
पति धवल बुच को निशाना बनाया गया हैं। अडाणी ग्रुप को लेकर कांग्रेस पहले भी आक्रामक रही है और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधती रही है। अब वह उसको और धार देने की तैयारी में है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस का आंदोलन का फैसला इस बात का साफ संकेत है कि अगामी विधानसभा चुनाव में वह इसको लेकर सरकार पर हमले करेगी और उसको कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगी। वह अडाणी समूह और सेबी प्रमुख के खिलाफ संसदीय समिति की जांच कराने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर आगे बढ़ेगी । इसके अलावा बैठक में जिन अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा हुई उसमें जातिगत जनगणना और अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षण में कोटे के भीतर कोटा के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का मसला शामिल है। जातिगत जनगणना लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का सियासी हथियार था। अब वह एससी-एसटी के लिए क्रीमीलेयर को भी चुनावी मुद्दा बनाने पर आमादा नजर आती है। हालांकि सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। कांग्रेस चाहती है कि सरकार संसद में बिल लाकर अपना रुख साफ करे। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि सबसे कमजोर को आरक्षण का लाभ पहुंचाने की सुप्रीम कोर्ट की मंशा पर विचार करने के लिए आज कोई तैयार नहीं। न सत्तारूढ पार्टी और ना विपक्षी दल। कोई साथ नहीं। एक मात्र नेता जीतनराम मांझी हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का समर्थन और इस बात की हिमायत की कि एसटी एसटी आरक्षण का उप वर्गीकरण होना चाहिए। उन्होंने अनुसूचित जाति के आरक्षण का बिहार के संदर्भ में जिक्र करते हुए कहा कि सिर्फ तीन चार जातियों से आईएएस आईपीएस बन रहे हैं। उनको ही फायदा मिल रहा है। उन्होंने तीन चार अन्य जातियों के नाम गिनाते हुए कहा कि इनके उत्थान के लिए भी काम होना चाहिए। लेकिन उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। यह आरक्षण और वोटों की राजनीति का जोर है। जैसा कि बैठक में कहा गया कि सरकार को इस दिशा में अब और देर नहीं करनी चाहिए। कांग्रेस ने साथ ही, बेरोजगारी, बेलगाम महंगाई और घरेलू बचत में कमी पर भी बैठक में चर्चा की। कुछ नेताओं ने जहां एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग का मुद्दा उठाया तो वहीं अग्निपथ योजना का भी विरोध हुआ। साफ है कि पार्टी अग्निवीर योजना को रद्द किए जाने की मांग भी अपने चुनाव प्रचार अभियान में जारी रखेगी।
इस साल अक्टूबर नवंबर तक हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने हैं। इनके अलावा जम्मू कश्मीर में सितंबर के अंत तक चुनाव कराने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है। जम्मू कश्मीर में चुनाव के लिए चुनाव आयोग वहां का दौरा कर चुका है। राजनीतिक दलों व प्रशासनिक तंत्र के प्रमुखों से बातकर स्थिति का जायजा ले चुका है और उम्मीद है कि आयोग 15 अगस्त के बाद वहां तथा अन्य राज्यों में चुनाव की तिथियों की घोषणा कर सकता है। इसी बात को ध्यान में रख कांग्रेस हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर सड़क पर उतरने का फैसला किया है क्योंकि उसको उम्मीद है कि वह इन सभी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। इसलिए उसको विधानसभा चुनाव में उसको सत्ता में वापसी की उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

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