
-पार्टी का विजयरथ को आगे बढाने का फिलहाल जिम्मा जेपी नड्डा को
-द ओपिनियन-
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का बैठक का आज दूसरा व अंतिम दिन है। पार्टी ने मौजूदा अध्यक्ष जे पी नड्डा कार्यकाल बढ़ा दिया है। अगामी चुनावों के मद्देनजर नड्डा को कार्यकाल में 2024 तक का विस्तार मिला है। यानी पार्टी की नीतियों में निरन्तरता बनी रहेगी। भाजपा ने कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन ही अपना मकसद साफ कर दिया और कार्यकर्ताओं को भी दो टूक संदेश दे दिया कि अब मौजदा साल व अगले साल में पार्टी की क्या कार्ययोजना है और उसे क्या करना है। पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि यह साल और अगले साल का पूर्वाद्ध चुनावी समय है इसलिए कमर कसरकर तैयार हो जाएं। लक्ष्य साफ है पहले विधानासभा चुनाव जीतना है और बाद में लोकसभा चुनाव में विजय हासिल करनी है। पार्टी ने यह भी साफ संदेश दे दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार मंच से कह चुके हैं देश को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा। दो दिन पहले वीडियो कान्पफ्रेंसिंग के माध्ययम से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का लोकार्पण करते समय भी यही बात दोहराई और भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में भी यह संदेश प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दिया गया। पार्टी ने भारतीय विरासत की विचारधारा को गौरवपूर्ण तरीके से प्रचारित करने का लक्ष्य रखा है ताकि लोग गुलामी की मानसिकता से बाहर हो सकें और नए भारत के निर्माण में जुट सकें। संदेश साफ है कि पार्टी की वैचारिक प्रतिबद्धता में हिंदुत्व केंद्र में रहेगा और यह चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही पार्टी ने गुजरात माॅडल को लागू करने और बूथ प्रबंधन को और कारगर बनाने के संकेत दिए हैं।

लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी ने 70 हजार बूथों की पहचान की है, जहां पार्टी को मजबूत किया जाना है। पार्टी अब तक एक लाख 32 हजार बूथों तक पहुंच चुकी है और पार्टी का लक्ष्य है कि हर बूथ पर ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी से जोड़ा जाए ताकि उसको जमीनी स्तर पर मजबूती मिले। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने हर लोकसभा क्षेत्र में कम से कम 100 बूथों और विधानसभा क्षेत्र में 25 कमजोर बूथों की पहचान कर वहां पार्टी को मजबूत बनाने का निर्देश दिया है। इसलिए यह बात माननी पड़ेगी कि भाजपा की यही अप्रोच उसे आगे बढ़ाने में सहायक है। वह बूथ स्तर तक सक्रिय रहती है। इसके साथ ही पार्टी जनकल्याण योजनाओं से भी वोंटों की फसल काटनी चाहती है। इस साल के शुरू में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने यह प्रयोग कर के देख लिया। यूपी में विभिन्न सरकारी योजनाओं के हितलाभियों से सीधा संवाद किया गया और लोगों को यह अहसास दिलाया गया कि पार्टी उनके बारमें उनके हितों के बारे मे साचेती है।
बैठक के दूसरे दिन आज मंगलवार को भी पार्टी नेता चुनावी व्यूहरचना और रणनीति तैयार करने में व्यस्त हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी जीत का मंत्र बताने वाले हैं। पार्टी छोट छोटे राजनीतिक समूहों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। ये छोटे छोटे दल जमीनी स्तर पर वोट को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। यदि ऐसा हुआ तो राजग का घटता कुनबा फिर बढ़ सकता है।

















