
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क से लाए गए दोनों शावक कोटा के बायोलॉजिकल पार्क में विकसित किये गये प्राकृतिक माहौल में अठखेलियां करते हुए अपने दिन बिता रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार कोटा के बायोलॉजिकल पार्क में रखते हुए भी इन दोनों शावकों को गहमागहमी-जनजीवन से दूर एकांत में लेकिन प्राकृतिक
माहौल में न केवल रखा जा रहा है बल्कि उनके मनोरंजन के लिए भी भरपूर व्यवस्थाएं की गई है। उनके लिये ।
पौष्ठिक आहार का भी प्रबंध किया गया है ताकि वे स्वस्थ रह सके। रणथंभौर नेशनल पार्क की बाघिन टी-114 के इन दोनों शावक पिछले माह जनवरी के अन्त से कोटा के बायोलॉजिकल पार्क में रखा गया हैं।
उल्लेखनीय है कि जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर की बाघिन टी-114 की मृत्यु हो जाने से उसके दो जीवित शावकों को 31 जनवरी की देर रात्रि में रणथम्भौर बाघ परियोजना से वरिष्ठ पशु चिकित्सक की टीम के साथ कोटा अभेड़ा बॉयोलोजिकल पार्क में भिजवाया गया था। तब से यह दोनों शावक कोटा के बायोलॉजिकल पार्क में ही है।
रणथम्भौर की बाघिन टी-114 के यह दोनों शावक स्वस्थ हैं तथा शावक साथ-साथ रहकर क्रीड़ा करते हुए कभी एक दूसरे का आलिंगन करते है, तो कभी अंगड़ाईया लेते है। दोनों शावक अधिकांश दिन में सोते हैं व रात्रि को खेलकूद में व्यस्त रहते हैं। नाइट शेल्टर के चार कम्पार्टमेंट के अलावा कॅराल क्षेत्र में विचरण करते हैं। जिसमें लकड़ी के पोल खेलने-कूदने के लिए लगाए गए हैं। दोनों शावकों को प्राकृतिक वातावरण मिल सके इसके लिए पूर्णतः वाइल्ड लुक दिया जा रहा है।
उनके आवास स्थल की साफ़-सफ़ाई का खास ध्यान रखा जा रहा है, नाइट शेल्टर को विषाणुनाशक जीवाणुनाशक औषधि से सेनेटाईज करवाया जा रहा है। प्रतिदिन विषाणु नाशक, जीवाणु नाशक, फन्जीसाइडल दवाइयों का छिड़काव किया जाकर पूर्णतः सैनेटाइज किया जा रहा है।
इसके अलावा दोनों शावकों को भोजन हॉट वाटर ट्रीटमेंट के साथ ब्रॉयलर का मटन डाइट प्लान के अनुसार दिया जा रहा है। उप वन संरक्षक वन्य जीव सुनील गुप्ता ने बताया कि भोजन में पोषक तत्वों युक्त कैैटलेक पाउडर देने का उद्देश्य है कि शावकों को मां के दूध का रिप्लेसमेंट मिल सके एवं किसी प्रकार का कुपोषण न हो।
दोनों शावकों को नाइट शेल्टर कैज में रखा गया है जहां सीसीटीवी कैमरे लगाकर 24 घंटे स्टाफ द्वारा मॉनिटरिंग का कार्य किया जा रहा है, दोनों शावक स्वस्थ हैं। शावकों को आमजन से दूर रखा गया है तथा नाइट शेल्टर कैज में सर्दी से बचाव के लिए पबले से एग्रोनेट से कवर कर पराल बिछाकर बाहर की तरफ हीटर लगाया गया है जिससे शावकों को प्राकृतिक आवास जैसा वातावरण उपलब्ध हो सकें।
उल्लेखनीय है कि रणथम्भौर नेशनल पार्क की सीमा से सटे टोडरा-दोलाड़ा गांव के माल के एक खेत में बाघिन टी-114 और उसके एक शावक की मृत्यु हो जाने के बाद उनके शव बरामद किए गए थे और यह आशंका जताई गई थी कि
बाघिन और उसके शावक की मौत की वजह कड़ाके की ठड़ रही है।
बाघिन की मौत के बाद उसके यह दोनों शावक उसके आसपास ही देखे गए थे। इस बारे में सूचना मिलने पर सवाई माधोपुर से गई वन विभाग की टीम ने इन दोनों शावकों को अपने कब्जे में लिया था और उन्हें बाद में पशु चिकित्सक की देखरेख में एक टीम के साथ वाहन से कोटा के लिए रवाना किया था। दोनों शावकों की देखरेख यहां वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विलास राव गुलहाने व डॉ. तजेन्द्र कर रहे हैं।

















