क्या यह सच नहीं कि बाघों को बचा कर हम जंगलों को बचाते है

बाघ की शिफ़्टिंग की सूचनाएँ उम्मीद दिलाने वाली

डाॅ. सुधीर गुप्ता
कोटा. जंगल जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही अतिवृष्टि, बाढ़, लगातार चलती हीट-वेब ,सूखा,जंगल की आग, बार-बार आते तूफ़ान ओर पिघलते ग्लेशियर के ख़तरों से पृथ्वी को बचाते है. पिछले स्वतंत्रता दिवस पर शहर के युवाओं ने टाइगर एमटी-4 की मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के छोटे से बाड़े से आज़ाद करने ओर जोड़ी बनाने के लिए एक रैली निकाल कर वन विभाग को इसी सोच से अवगत कराया था.ऐसे ज़रूरी मुद्दे पर भी आठ महीने वन विभाग को एमटी -4 को एनक्लोजर से आज़ाद करने में लगे. हम गुरुवार को एमटी -4 की जोड़ी बनाने के लिए बाघ की शिफ़्टिंग के लिए जब मिले तो फील्ड डायरेक्टर,एमएचटीआर से मिली सभी सूचनाएँ उम्मीद दिलाने वाली थी. हम लोगों ने कहा हैं कि आपने ‘सेल्जर’ क्षेत्र में एमटी -4 को अगर छोड़ा है तो सुरक्षा अब ज़्यादा अहम विषय है और गिरधरपुरा गाँव के लोगों का विस्थापन आपकी प्राथमिकता होनीं चाहिए. जिस दरा क्षेत्र में एमटी -4 रह रही थी वहाँ बाघों का शिफ़्ट करना भी ज़रूरी है. एमटी -3 के साथ लंबे समय तक जब वो रही स्थानीय लोगों ने उन दोनों के साथ रहने का अभ्यास ही नहीं कर लिया बल्कि कई आवश्यक बदलावों को जीवन में ढाल लिया है. मशालपुरा गाँव के लोगों की शिफ़्टिंग पूरी हो चुकी है ओर अब जल्द से जल्द बाघों का दरा में नहीं बसाना उनकी उम्मीदों पर कुठाराघात होगा.

(लेखक पर्यावरण, ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति संरक्षण के प्रति समर्पित हैं)

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Neelam
Neelam
2 years ago

जल ,जंगल, जमीन जीवन का आधार हैं। अच्छी पोस्ट