
कोटा। रामगढ़ विषधारी बाघ संरक्षित क्षैत्र में टी-102 को बाड़े से बाहर छोड़े जाने पर बाघ मित्रों ने स्वागत किया है साथ ही राजस्थान सरकार एवं राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण से मुकुंदरा में एक मात्र बाघिन की सुध लेने का आग्रह किया है।
बाघ मित्र समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय, भारतीय सांस्कृतिक निधि के कंवीनर निखिलेश सेठी, चम्बल संसद, जल बिरादरी के केबी नंदवाना केईएसएस के यज्ञदत्त हाड़ा, राजेंद्र जैन, विनीत महोबिया आदि ने कहा कि हाड़ौती के विकास में बाघों की बड़ी भूमिका तय हो चुकी है। मुकुंदरा के प्रति सरकार की सुस्ती आश्चर्यजनक है। बाघों की अप्राकृतिक मौतों के बाद दो वर्ष के बाद भी अकेली बाघिन के पीछे सारा जंगल आकर्षण खो रहा है। सीमित संसाधनों को एक बाघिन की सुरक्षा में तैनात करे या दो या उससे अधिक बाघों की सुरक्षा पर संसाधन लगाए जाऐं। सरकार को तो उसी प्रकार स्टाफ झोंकने है जो एक के लिए झौंकने होते है। मुकुंदरा की व्यवस्थाओं पर भी सरकार का काफी धन खर्च हुआ है तो उसे उपेक्षित बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है।
जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि हाड़ौती संभाग के कोटा जिले के मुकुंदरा टाईगर रिजर्व में बाघों के पुनर्वास के लिए सरकार को गंभीरता से कार्ययोजना बना कर कार्य करने की आवश्यकता है। पूर्व में 2020 में अचानक 5 बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद अब मात्र एक बाघिन अवशेष स्वरूप बची हुई है घायल उम्मीद की तरह।
सरकार से अनुरोध है कि मुकुंदरा में पुनः बाघों की दहाड़ सुनाई देने की सुव्यवस्था करें। इसके लिए आगे से पुनः बाघों के लिए कोई संकट न हो बसाने से पूर्व पुख्ता व्यवस्था की जाए। यहां का आधारभूत ढांचा तैयार है,उसे सतर्कता के साथ जनभागीदारी को सुनिश्चित करते हुए बाघ प्रबंधन को सुदृढ़ किया जाए। पर्याप्त प्रेबेस,स्टाफ, सुरक्षा व निगरानी तंत्र,आवश्यक संसाधनों से लैस कर्मचार वर्ग को तैनात किया जाए। कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जाए। मुकुंदरा में बाघों के पुनर्वास की यहां के निवासियों की 30 वर्ष पुरानी मांग रही है। इसके लिए लोगों ने काफी प्रयास किया है। सरकार ने हमेशा सकारात्मक सहयोग किया है। पूर्व की कमियों को दूर करते हुए बाघों का पुनर्वास किया जाए।

















