
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
कोटा। रासलीला भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही हैं। तीन से चार दशक पूर्व तक रासलीला मंडलियां श्रद्धालुओं को कृष्ण की लीला से सरोबार करने के लिए हर शहर में रास का प्रदर्शन करती थीं।
आम तौर पर मंदिर परिसर या किसी मोहल्ले के चौक में इनका आयोजन होता था और सभी स्त्री पुरूष घर के काम काज से फ्री होने के बाद रासलीला का आनंद लेते थे। आमतौर पर ये रासलीला मंडलियां ब्रज क्षेत्र से आती थीं।
तब बताया जाता था कि सैकडों की संख्या में रास मंडलियां है ंजो पूरे देश में कृष्ण लीला से भक्तों को रूबरू कराती हैं। समय के साथ न लोगों के पास इतना वक्त रहा कि वे इन आयोजनों को देखते और आधुनिक तकनीक में भी यह मंडलियां पिछड गई।
अब स्थिति यह है कि दशहरा मेला जैसे आयोजनों के समय ही रासलीला देखने का मौका मिल पाता है। दशहरा मेला में भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला ने कला के रसिकों और श्रद्धालुओं को भक्ति के रस में डुबो दिया।
फोटो जर्नलिस्ट ने दशहरा मेला में आयोजित रासलीला के दृश्यों को अपने कैमरे से खूबसूरती से चित्रों में उतारा है।
बहुत सुंदर। मैं इस रास लीला को देखने से चूक गया।
बचपन में शहर में रासलीला मंडली आती थीं जो प्रमुख प्रमुख स्थानों पर आयोजन करते थे।देखकर आनंद विभोर हो जाते थे।उस समय की बात ही अलग थी।