
-डॉ हेमा पाण्डे-

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तारीख बदल रही है
सो बढ़ रही उम्र भी
जिंदगी समय पर सवार है,
उसके साथ न बढ़े तो
पीछे छूट जाएगी।
बीती बात को पकड़कर बैठने में
लगता तो होगा कि आपने नही,
उसने आपको जकड़ रखा है।
उसे छोड़ दीजिए तो देखिए
क्या मजाल है कि वो
आपको रोक सके।
जो बीत गयी सो बीत गयी
सुना भी है और सहा भी कि
वक्त बीत जाए तो ज्यादा
सुनहरा दिखता है।
बिछड़े दोस्त ज्यादा प्यारे
मालुम होते है चाहे,
जब सामने थे तो लड़ने में
ही वक्त तमाम किया हो।
इंसान दिखता कही,
और होता कही और ही है
ये करामात या करिश्मा
इंसान के ही बस की बात है
बैठा दफ्तर की मीटिंग में
और जाने कब चुपके से
ख्याली दरवाजा खोला,
और पहुच गए ख्वाब में
ख्वाबो के दरवाजे भी दो है
ये दरवाजा निकलता है
अतीत की अटल गहराइयों में
दूसरा भविष्य के सात आसमानों में
दोनो ही कल है
एक बीता हुआ दूसरा आने वाला।
#डॉहेमापाण्डे
(कवयित्री एवं मोटीवेशनल स्पीकर)

















