कविता परिवार और प्रेम का अक्षय कोश है

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फोटो अखिलेश कुमार
कविता हमारी परिधि का विस्तार करती है, जो कुछ हम समझ नहीं सकते, जो कुछ कह नहीं सकते वह सब कविता के द्वारा सहज रूप में संसार को संबोधित किया जाता है। कविता एक सामाजिक व सांसारिक संबोधन है और यह संबोधन उन सब लोगों के साथ है जो संसार में रहते हैं संसार से परे जाकर सोचने और विचार करने वाले लोगों के लिए कविता का विस्तार नहीं होता न ही ऐसे लोगों की स्वीकृति कविता के संसार में होती है। कविता हमारे मन मस्तिष्क को इस तरह से साफ करती है कि जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है जो यहां न आ जाता हों।

– विवेक कुमार मिश्र-

vivek mishra
डॉ विवेक कुमार मिश्र

किसी भी कविता की उपस्थिति आसमान में नहीं होती, कविता का संसार इसी भूमि में, इसी जीवन संसार में मानवीय अस्तित्व की जो सुगंध है वह सब कविता की वह जमीन तैयार करती है जिसपर चलकर हम सब संसार से बातें करते हैं। कविता पूरे तौर पर मन मस्तिष्क और संसार के बीच परस्पर संवाद का नाम है, एक कविता एक विचार सूत्र के रूप में सबसे पहले पदार्थ के बीच हमें दिखती है फिर वहां से विचार सूत्र चेतना पर बार बार जोर देते हुए उस संसार को देखे जाने के लिए हमें विवश कर देते हैं। कविता पाताल से चलते हुए भूतल पर विस्तार पाते पाते स्वप्न सी आकाश में चली जाती है इसकी यह कह सकते हैं कि कविता की ऊंचाई आसमान से उपर भी चली जाती है। कविता इसी संसार में सांसारिक संदर्भों के साथ जन्म लेती है। एक एक कविता सौ सौ बार देखे जाने और समझे जाने की मांग रखती है, ऐसा नहीं होता कि आपने कविता पढ़ी और वह आपके मन मस्तिष्क पर बैठ गई या छा गई । यह भी हो सकता है कि कविता जो कुछ कह रही है वह आपके आसपास से निकल ही न रहा हो, पूरी कविता से गुजर जाने के बाद यदि हम भाषा शास्त्र और व्याकरण की पुस्तक देखने लगे या शब्दकोश देखने लगते हैं तो जाहिर सी बात है कि हमने कविता न पढ़कर कोई शास्त्र ही पढ़ रहे हैं या कविता जैसा कुछ पढ़ रहे हैं कविता तो बिल्कुल नहीं पढ़ रहे हैं कविता जब पढ़ते हैं तो दृश्यता बढ़ जाती है। समय और संदर्भ साफ साफ खुलने लगते हैं। कविता हमारी परिधि का विस्तार करती है, जो कुछ हम समझ नहीं सकते, जो कुछ कह नहीं सकते वह सब कविता के द्वारा सहज रूप में संसार को संबोधित किया जाता है। कविता एक सामाजिक व सांसारिक संबोधन है और यह संबोधन उन सब लोगों के साथ है जो संसार में रहते हैं संसार से परे जाकर सोचने और विचार करने वाले लोगों के लिए कविता का विस्तार नहीं होता न ही ऐसे लोगों की स्वीकृति कविता के संसार में होती है। कविता हमारे मन मस्तिष्क को इस तरह से साफ करती है कि जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं है जो यहां न आ जाता हों। कविता के भीतर जो जीवन गुंथा होता है वह सीधे सीधे सामने आ जाता है। इस तरह यह भी सच है कि कविता हमारे संसार का खुलासा बहुत ही सहजता के साथ करती है और हमें हमारा इतिहास और जीवन इस तरह से पढ़ाते चलती है कि संस्कृति का पाठ अनायास ही हो जाता है। कविता सभ्यता और संस्कृति का वह निष्कर्ष है जहां से जीवन के अध्याय खुलते हैं, यहां एक बिंदु पर होकर जीवन का विस्तार जीया जाता है यहां विश्लेषण के लिए जगह होती है एक दो पंक्तियों में बहुत बड़ी बात कह दी जाती है जिसे और किसी माध्यम में कहने के लिए बहुत सारे स्पेस की जरूरत पड़ती है वह कविता में आकर यूं ही पूरी हो जाती है। इसीलिए यह कह सकते हैं कि कविता मानव संसाधन के साथ साथ मानव व्यवहार को भी प्रकट करने का सबसे सहज साधन है। कविता हृदय के अंतःस्थल से निकल कर मन मस्तिष्क पर अपना असर इस तरह से छोड़ती है कि कविता क्यों लिखी गई है इस पर आप विचार करते रहें, कविता की उपस्थिति और कविता का जन्म एक लेखक के लिए जहां महत्वपूर्ण होता है वहीं संस्कृति पर विचार करने वाले लोगों के लिए बौद्धिक समाज को रचने वाले लोगों के लिए यह अवसर बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। कविता अपने पाठक को एक नई दुनिया सौंपती है उसका सौंदर्य संसार के सौंदर्य के साथ ही एक नई दुनिया का सौंदर्य इस तरह से रच देता है कि कुछ भी अलग से नहीं लगता पर हमारी दुनिया में बहुत कुछ नया जुड़ चुका होता है। असली कविताएं इसी तरह जन्म लेती हैं। प्रेम और अप्रेम के बीच उपजे द्वंद्व से कविता का जन्म होता है। जीवन में जहां प्रश्न है, जहां आश्चर्य है और जहां सौंदर्य है स्वाभाविक है कि उसी भूमि पर कविता और प्रेम के लिए बड़ा स्पेस मिल पाता है। कविता में आश्चर्यजनक ढ़ंग से जो प्रकृति आती है, जो सांसारिक संदर्भ आते हैं और जो जीवन होता है वह किसी और संसार के लिए नहीं होता न ही किसी और संसार की प्रस्तावना रखता है बल्कि हर महत्वपूर्ण कविता इसी संसार की कहानियों को दर्ज कर जीवन को सही ढ़ंग से समझे जाने के लिए हमें प्रस्तुत करती है।इस तरह एक बात साफ है कि कविता में प्रेम का वह अक्षय कोश होता है जो किसी भी संसार को खत्म होने से पहले बचा लिए जाने के लिए आ जाता है। कविता अचानक ही जन्म लेती है, बहुत सोच विचार कर आप कवि नहीं हो सकते , इसी तरह जीवन के उलझे हुए गणित में सफर कर रहे लोगों के पास भी कविता का दरबार नहीं होता। कविता और प्रेम की दुनिया कुछ कुछ एक ही अंदाज में खुलती है जहां अवाक चुप्पी होती है, आश्चर्य होता है और अपनी आंखों में दुनिया को भर लेने का भाव होता है। कविता मन की आंख होती है, इतना ही नहीं प्रेम का समूचा विस्तार कविता में ही आकर रंग और जीवन ले पाता है। कवि कर्म और कविता किसी आसान प्रक्रिया का नाम नहीं है न ही जब मन चाहा तब कविता लिख ही लेंगे। कोई कोई कवि तो हजारों वर्षों से एक विषय पर अभ्यास कर रहा है पर कविता लिख नहीं पा रहा है। कविता लिखना आसान है भी नहीं जो कविता नहीं लिखते या जो कविता के बारे में सोचते नहीं वो हर समय मीटर लेकर नाचते रहते हैं कि किस विषय पर कविता लिखें और न ही कविता की कार्यशाला से कविता जन्म लेती है । कविता का होना एक अलग ही विषय है। एक अलग मन और अलग से एक भाव स्थिति होती है वहां से आप संसार के लिए कविता लिख सकते हैं। संसार को जीतना देखते हैं और जीतना संसार को जानने की कोशिश करते हैं उसी अनुपात में कविताएं भी सामने आती हैं। कविता की घुसपैठ जीवन के बीहड़ में होती है । कविता किसी भी तरह से निष्क्रिय जीवन का सिद्धांत नहीं है न ही कविता केवल जीवन जीने की सुविधा है और न ही कविता के मार्फत हममें से किसी को कोई सुविधा मिल सकेगी पर कविता के प्रति हर काल में बड़ी सक्रियता दिखाई देती है । जितने महत्वपूर्ण कवि और कविताएं हैं वे जीवन संघर्षों की भट्टी से ही निकल कर आएं हैं।
जीवन भर कदम कदम पर संघर्ष के बीज मिलते हैं और जीवन इन्हीं के बीच से चलते हुए आगे बढ़ता है। जीवन से प्रेम मूलतः कविता के प्रति प्रेम का उदाहरण है। प्रेम अनंत इच्छाओं के बीच शुद्ध अंतःकरण की खोज का नाम है। न जाने कितने सपने बनते बिगड़ते रहते हैं और इसी के बीच जीवन अपने लिए रास्ता निकाल कर चलता रहा है। अपार इच्छाओं के बीच इच्छाओं के टूटते जाने और झरते जाते जीवन प्रवाह में आदमी कहां और कितना बचता उसी की तस्दीक करती हैं ये कविताएं। प्रेम कविताएं बहुत बड़ी क्रांति की उम्मीद लेकर जन्मती हैं पर अपने यहां प्रेम को सात तहों में छुपाकर उसका गला इस तरह घोंट दिया जाता है कि बहुधा प्रेम करने वाले को भी इस बात का अहसास नहीं रहता कि वह क्या कर रहा है। कहां आग जली और कहां से आग बुझ गई। यह आग जलने और बुझने की जो कहानी है वह मनुष्य के चलते रहने की कहानी है। इस कहानी को बहुत दूर तक प्रेम कविताएं प्रमाणित करती हैं। इस तरह से कविता की हर यात्रा जो कविता के बीच रहने कविता से जुड़े रहने की बात करती है वह कविता के प्रेम में होने का भी प्रमाणपत्र है। यहीं पर यह भी कहा जा सकता है कि प्रेम कविताएं और परिवार पर लिखी कविताएं जीवन का अक्षय कोश है जिसके रास्ते जिंदगी को समझने में मदद मिलती है।

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