
-ए एच जैदी-

अपने नैसर्गिक सौंदर्य और ऐतिहासिक स्थलों और गौरवपूर्ण इतिहास की वजह से बूंदी का न केवल हाडोती बल्कि राजस्थान में विशिष्ट स्थान रहा है। आज भी हाडोती में पर्यटन की दृष्टि से बूंदी में सर्वाधिक संभावना मानी जाती है। बूंदी की इसी धरोहर को आम जन के सामने लाने के लिए बूंदी उत्सव की शुरुआत की गई थी।
बहुत कम लोगो को शायद पता होगा कि प्रथम बूंदी उत्सव का आयोजन पूरी तरह जन भगीदारी से किया गया था। आम जन को इस उत्सव से जोडने की पहल की थी तत्कालीन जिला कलेक्टर मधुकर गुप्ता ने। उन्होंने 1995 में इंटेक के कोटा में हुए कार्यक्रम में मेरा हेरिटेज ऑफ हाडोती स्लाइड शो देखा था। वह इससे प्रभावित हुए और इसके बाद तो उनसे फोन पर निरंतर सम्पर्क बना रहा। इसके बाद हमने बून्दी उत्सव की तैयारियां शुरू कर दीं। इस सिलसिले में अक्सर मधुकर गुप्ता जी से मुलाकात होती थी। यह उनके प्रयासों का नतीजा था कि जनभागीदारी से मनाया गया पहला बून्दी उत्सव आज तक लोगों की ज़बान पर है।

मैने भी बहुत बडे स्तर पर बूंदी दर्शन की प्रदर्शनी लगाई। मुझे इसका फायदा नहीं मिला तो नुकसान भी नही होने दिया। बून्दी उत्सव की शोहरत व कामयाबी राज नेताओं को नहीं पची और कलक्टर साहब का ट्रांसफर करवा दिया। सरकारी मदद के बिना इतना शानदार आयोजन बून्दी की जनता आज तक नहीं भूल पाई है। कुलदीप रांका साहब बून्दी कलक्टर थे उस समय मधुकर गुप्ता जी को मुख्य अथिति के तौर पर बुलवाया गया था। उस समय गुप्ता साहब डिविजनल कमिश्नर उदयपुर थे।

मेरा सौभग्य है कि मैं इस उत्सव का संस्थापक सदस्य रहा हूं। एक बार शिल्प ग्राम में और 10 बार बून्दी गढ़ पैलेस में हेरिटेज ऑफ हाडोती फोटो प्रदर्शनी लगाई है। लगभग दस हज़ार विदेशी पर्यटकों ने इन प्रदर्शनी का अवलोकन कर हमारे पर्यटन स्थलों के बारे में जाना।
(लेखक नेचर प्रमोटर एवं ख्यातनाम फोटोग्राफर हैं। यह उनके विचार हैं)

















