-बृजेश विजयवर्गीय-
जंगल का मीठा फल तेंदू। हो सकता है तेंदुए भी इसे चाव से खाते हैं, परंतु बंदरों का तो प्रिय फल है। बोटनी पढ़ने पढ़ाने वाले इसे डायोस्परोस मएलनओक्सईलओन कहते हैं। इन दिनों कोटा, बारां व चित्तौड़गढ़ के जंगलों में गर्मी में मिठास का आनंद दे रहा है। वनवासी रावतभाटा रोड़ पर इसे बेचते दिखाई देते हैं। मनुष्यों और जानवरों में पेट की बीमारी भी इससे ठीक हो जाती है। जबरदस्त रोग-प्रतिरोधक क्षमता इस तेंदू में है। यह गमले में नहीं लगाया जा सकता। इसके पेड वन में ही उगते हैं।
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जंगलों की अंधाधुंध कटाई ने तेंदू वन फल के अस्तित्व को ही विलोपित कर दिया है.आज कोटा के फल बाजार में तेंदू उपलब्ध नहीं है