
-देवेंद्र यादव-

दिल्ली विधानसभा चुनाव में यूं तो कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लंबी सूची है, मगर बिहार के पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव का अलग ही प्रभाव है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव प्रचार में जुटे पप्पू यादव ने दो दिन में कांग्रेस के पक्ष में पांच चुनावी सभाए की हैं। पप्पू यादव का भाषण देने का बेबाक अंदाज मतदाताओं को भा रहा है और सवाल खड़े कर रहा है की यदि दिल्ली में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी पप्पू यादव जैसे नेता कांग्रेस के पास हो तो दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश में कांग्रेस की तकदीर बदल सकते है।
पप्पू यादव दिल्ली में कांग्रेस के लिए वोट मांग रहे हैं और मतदाताओं को याद दिला रहे हैं कि पूर्व में शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली की जनता के लिए जो कार्य किए थे वैसे कार्य अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली में अभी तक नहीं कर सकी है। पप्पू यादव जहां दिल्ली की जनता को शीला दीक्षित सरकार के दौर की याद दिला रहे हैं, वहीं राहुल गांधी के द्वारा देश की जनता के लिए ईमानदारी से किए जा रहे संघर्ष की भी याद दिला रहे हैं।
कांग्रेस के अन्य स्टार प्रचारको को या बड़े नेताओं को यही सब करना है जो पप्पू यादव दिल्ली में करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
पप्पू यादव की ताबड़तोड़ जनसभाओं ने निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा दी होगी, क्योंकि दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं का बड़ा महत्व है और पप्पू यादव उनके सबसे बड़े नेता हैं जो अपनों के बीच जाकर, गारंटी ले रहे हैं कि यदि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनी तो पूर्वांचल के लोगों की पप्पू यादव गारंटी होगा।
गत दिनों यही अंदाज पप्पू यादव का झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला था और झारखंड में वहां के मतदाताओं ने पप्पू यादव पर भरोसा किया और झारखंड में गठबंधन की सरकार बनी। क्या ऐसा ही करिश्मा दिल्ली में भी हो सकता है। पप्पू यादव के रोड शो और जनसभा में जो जन सेलाब देखने को मिल रहा है उससे लगता है कि इस बार दिल्ली के परिणाम चौका ने वाले होंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)