सामाजिक व्यक्तित्व निर्माण का मंच है राष्ट्रीय सेवा योजना

राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस 24 सितंबर

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– डॉ. विवेक कुमार मिश्र-

डॉ. विवेक कुमार मिश्र

राष्ट्रीय सेवा योजना – स्वरोजगार, स्व – अस्तित्व, और स्वतंत्र चेतना के एक ऐसे व्यक्तित्व का निर्माणकारी मंच है जो सेवा , त्याग , समर्पण और श्रम की प्रतिष्ठा करते हुए समाज को एक सामाजिक व्यक्तित्व देने का कार्य करती है। एक तरह से यह भी कहा जाना चाहिए कि यह व्यक्तित्व निर्माण की प्रयोगशाला है। राष्ट्रीय सेवा योजना के निर्माणकारी मंच से सेवा त्याग और समर्पण की प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहती है । यह कोई एक दिन का कार्य नहीं है ना ही किसी एक रूप में राष्ट्रीय सेवा योजना को देखे जाने की जरूरत है । अपने जन्म काल से ही राष्ट्रीय सेवा योजना निरंतर सेवा और श्रम की दिशा में अपने व्यक्तित्व को परिवर्तित करते हुए समाज के सामने आगे आ रही है।

एक समय में राष्ट्रीय सेवा योजना की पहचान केवल और केवल बस्तियों में गांव में जाकर श्रमदान और कुछ प्रचार-प्रसार की सामग्री बांटते हुए जन चेतना के निर्माण की दिशा में कार्य करने की रही है । पर समय की बदलती जरूरतों और गतिशील सामाजिक संगठन होने के कारण हमारे समाज में निरंतर हो रहे परिवर्तन के साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी और स्वयंसेवक निरंतर अपने को परिवर्तित करते हुए अपने को समाज के साथ समायोजित करते हुए सेवा भाव से कार्य कर रहे हैं।
अब समय की जरूरत सरकार और समाज की आवश्यकता तथा अपेक्षा के अनुरूप राष्ट्रीय सेवा योजना को एक विशेष सामाजिक सेवा का दर्जा मिला है । जिसमें यह सरकार समाज और युवा के बीच एक सेतु की तरह कार्य कर रही है । हर तरह की चुनौती को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रही है । राष्ट्रीय सेवा योजना का गठन गांधी जन्म शताब्दी के वर्ष में 24 सितंबर 1969 को उच्च शिक्षा और सामाजिक जरूरतें व सामाजिक सेवा शिक्षा के क्रम में किया गया था । तब समाज निर्माताओं के सामने यह चिंता थी कि हमारे पढ़े-लिखे युवा , उच्च शिक्षित युवा जो विश्वविद्यालयों से निकलकर सेवा के क्षेत्र में जाएंगे उनकी पृष्ठभूमि में ग्रामीण भारत और आम आदमी के साथ सरोकार और गहरी सामाजिक संलग्नता होना चाहिए।

इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना को शुरू शुरू में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में लागू किया गया । कुछ इकाईयों से शुरू हुआ यह प्रकल्प आज विशाल वट वृक्ष का रूप ले लिया है। आज टेन प्लस टू में 1990 -91 से स्कूलों में भी राष्ट्रीय सेवा योजना की शुरुआत की गई।

सेवा,श्रम की प्रतिष्ठा के साथ व्यक्तित्व निर्माण में युवाओं को साथ लेते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना सेवा के मूल्य को जमीन पर उतारने में लगी हुई है । सामान्य तौर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम में तीन एक दिवसीय शिविर और सात दिवसीय शिविर के साथ 240 घंटे का कार्य पूर्ण करने पर स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र दिया जाता है । जिसका 3% तक लाभ आने वाली शिक्षा में मिलता है । राष्ट्रीय सेवा योजना पूरे जीवन का निर्माण करती है इसे 3% या 5% 6% के लाभ तक या एडमिशन के लाभ तक ही रख कर नहीं देखना चाहिए।

यदि युवा एक बार राष्ट्रीय सेवा योजना का पाठ और अपने जीवन में सेवा व श्रम की प्रतिष्ठा कर लेता है तो उसका पूरा जीवन ही बदल जाता है। यह शोध का विषय है कि एन. एस. एस. से पूर्व और एन. एस. एस. के बाद युवा के भीतर क्या परिवर्तन आते हैं। अपने सामने ऐसे बहुतेरे युवाओं का ध्यान आता है कि वे एन. एस. एस पूर्व एक अ- संयोजित , दिशाहीन और संकोची स्वभाव के होते हैं वहीं एन. एस. एस. में आने के बाद अपने वाह्य और भीतरी संसार में इतना परिवर्तन कर लेते हैं कि उनका व्यक्तित्व अपने आप ही सेवा के भाव प्रसार से महकने लगता है। उनकी एक अलग ही पहचान व दिशा बन जाती है। एक नया व्यक्तित्व निर्मित हो जाता है । इस तरह सामाजिक व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं के भीतर क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का काम करती है।

जिला समन्वयक
राष्ट्रीय सेवा योजना
कोटा

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