ऐसे ही निगाहों को झुकाया नहीं करते। जब दिल को टटोलोगे तो इक चोर मिलेगा।।

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

गाती हुई कोयल न कोई मोर मिलेगा।
शहरों में मशीनों का फ़क़त शोर मिलेगा ।।
*
आसान नहीं है तेरा उस पार पहुॅंचना।
मझधार में तूफ़ाॅं का बड़ा ज़ोर मिलेगा।।
*
ऐसे ही निगाहों को झुकाया नहीं करते।
जब दिल को टटोलोगे तो इक चोर मिलेगा।।
*
बैठे से तो दुख दर्द कभी ख़त्म न होंगे।
हिम्मत जो रखोगे तो कहीं छोर मिलेगा।।
*
तपते हुए सहराओँ में क्या पाओगे “अनवर”।
पानी तो मेरे यार कहीं ओर मिलेगा।।

शकूर अनवर

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