-मनु वाशिष्ठ-

क्या है प्रेम ? हर व्यक्ति समझता है कि प्रेम उसकी प्रकृति में है, वह अपने साथी से प्रेम करता है। कई बार अगर इनको देखा जाए तो ये एक दूसरे के बंधन में जकड़े हुए #कैदी ज्यादा लगते हैं। प्रेम अधिकार नहीं, स्वतंत्रता देता है। बंधन नहीं, खुले आसमान में उड़ने की आजादी है प्यार। ऐसा प्यार दुर्लभ है, जिसे मिल जाए वो किसी राजा/रानी से कम नहीं। जहां प्यार है वहां किसी तरह का संकोच /पर्दा नहीं, कुछ भी छुपा हुआ नहीं रहता। शब्दों की जरूरत ही नहीं है, जहां शब्दों को प्रयोग करना पड़े तो प्यार कैसा। प्रेम तो स्वतंत्रता देता है, प्रेम विश्वास है, समर्पण भाव है। आजकल का प्यार समझ से बाहर है। इसमें जरा सी भी कहीं कमी महसूस हुई नहीं कि, न मैं तेरा न तू मेरा। यह कैसा प्यार है ? सच तो यह है कि प्यार था ही नहीं, बस एक उम्र का #भटकाव कहें, या #संस्कारों की कमी। एक ही नहीं, सभी #रिश्तों में प्यार को #व्यापार बना कर रख दिया है। एक नजर डालते हैं प्यार पर, कैसा होता है प्यार _
एकतरफा,दो तरफा होता, कभी चौतरफा होता है प्यार।
जी हां! सबके लिए दिल में जज्बात लिए होता है प्यार।
अधूरा होता है प्यार,कभी पूरा भी होता है प्यार।
अर्जुन की नजर सा, अंजाम भी होता है प्यार।
कभी स्याह,कभी सफेद, इंद्रधनुषी भी होता है प्यार।
चमकती आंखों की धुंधली आस भी होता है प्यार।
प्यार में कुर्बान,तो कभी जानलेवा भी होता है प्यार।
कभी धोखा, फितूरी/ जिहादी भी होता है प्यार।
परिवार के खांचे में फिट,जातधर्म देख कर भी होता है प्यार।
ओहदे पे निहाल, रुतबे का ख्याल भी होता है प्यार।
जोड़ घटा गणित के आंकड़ों सा,औकात होता है प्यार।
कभी अनपढ़, बेखबर तो कभी मैनेजमेंट वाला भी होता है प्यार।
एक दूजे से लड़ना,कट्टी पुच्चा भी होता है प्यार।
दूसरे की खुशी में खुश, दिल तो बच्चा भी होता है प्यार।
अंधा, गूंगा, बहरा बड़ा ही अनाड़ी होता है प्यार।
थाह पाना मुश्किल,समुद्र सा गहरा होता है प्यार।
चांदतारे तोड़ लाना, जां निसार, भी होता है प्यार।
कभी ताकत, कभी कमजोरी भी होता है प्यार।
चहुं ओर #हर किसी में नजर आता है प्यार।
भूख,प्यास,आसपास, कुछ खास होता है प्यार।
प्यार दोस्त,प्यार दुश्मन,जिंदगी और मौत होता है प्यार।
पाना खोना,हंसना रोना,आसान और मुश्किल होता है प्यार।
शोहरत दिलाता है प्यार,कभी अंधेरों में गुम होता है प्यार।
कवि, कभी किस्सा,जिंदगी का अहम हिस्सा, बेवकूफ भी बनाता है प्यार।
हकीकत और ख्वाब है प्यार,अच्छा या बुरा भी है प्यार।
कभी बम्बईया तो तो कभी इश्क सूफियाना भी है प्यार।
हर सवाल का जवाब,ना मिले तो तमाम होता शराब है प्यार।
किसी का मान, तो कभी जगहंसाई भी होता है प्यार।
गरीबों के नसीब में कहां, उफ! बड़ा खर्चा है प्यार।
चर्चा है प्यार! सीमा पर तैनात सिपाही सा मोर्चा है प्यार।
इसके आगे सब फीका,शहद से मीठा इश्क, होता है प्यार।
तो कभी जहर के घूंट, तो कभी खून के आंसू रुलाता है प्यार।
और अब अंत में!
मां की ममता, पिता के प्राण
बुजुर्गों के चरणों में,सारा जहान भी होता है प्यार।
पिताजी का अखबार पकड़ते ही,
मां का चाय बनाना, साथ बैठना भी होता है प्यार।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान
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