कितनी निर्मल कितनी सुंदर। जैसे आज नहाई नद्दी।।

shakoor anwar 01
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

जब यौवन पर आई नद्दी।
फिर कैसी इठलाई नद्दी।।
*
कितनी निर्मल कितनी सुंदर।
जैसे आज नहाई नद्दी।।
*
मैने समझा तुम आए हो।
जब सपने में आई नद्दी।।
*
जब जब दिल में पीड़ा उट्ठी।
ऑंखों में भर आई नद्दी।।
*
ये तेरी ममता का ऑंचल।
ये तेरी गहराई नद्दी।।
*
ये तेरी लहरों की सरगम।
ये तेरी शहनाई नद्दी।।
*
तृष्णाओं के अभ्यासी थे।
क्यूॅं रस्ते में आई नद्दी।।
*
दिल की कश्ती डूबी इसमें।
फिर भी मन को भाई नद्दी।।
*
मैं तेरा शैदाई* “अनवर’।
तू कितनी हरजाई* नद्दी।।

शैदाई*प्रेम में डूबा हुआ
हरजाई” निष्ठुर

शकूर अनवर

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