गीत-अनकहे रह गये गीत कुछ प्यार के

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-डॉ.रामावतार सागर-

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-डॉ. रामावतार सागर

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अनकहे रह गये गीत कुछ प्यार के
दर्द ने आज तक जिनको गाया नहीं
मौन संवाद ने जो लिखे होंठों पर
उनको मैंने कभी गुनगुनाया नहीं
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भावनाएं छली वक्त ने जो सभी
हम ठगे रह गये कर्ण से आजतक
जिनको उड़ना था नीले गगन में कहीं
वो परिंदे ही पहुँचे न परवाज तक
फेर किस्मत के ऐसे फिरे रात दिन
पास होकर भी वो पास आया नहीं(1)
अनकहे रह गये गीत कुछ प्यार के
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एक अल्हड़ उमर जान भी न सकी
फूल उस पर खिले थे जो दो प्यार के
यूँ तो सारे जमाने मेंं थी ये खबर
जान पाये नहीं हम ही दिल हार के
एक रहबर सरे राह चलता है पर
साथ जिसका मेरे कोई साया नहीं(2)
अनकहे रह गये गीत कुछ प्यार के
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कुछ समिधाएं ऐसे भी जलती रही
होम होकर भी यज्ञ नहीं हो सका
यूँ अधूरा रहा इक उपन्यास जो
खुद कथा हो कथानक भी न हो सका
हम तो रंगमंच पर खूब हँसते रहे
पर हृदय रो रहा है बताया नहीं(3)
अनकहे रह गये गीत कुछ प्यार के
डॉ.रामावतार सागर
कोटा, राज.

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