जब कुछ भी साथ नहीं होता तो भी चाय का साथ मिल जाता

ठंडी हवाओं के बीच चाय की गिलास

– विवेक कुमार मिश्र-

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डॉ. विवेक कुमार मिश्र

इस समय में जब चारों तरफ
कोहरा धुंध और ठंडी हवाओं का
पसारा फैला है

कहीं कुछ भी दिखाई नहीं देता तो
एक उम्मीद का रंग चाय के रूप में
आंखों के आगे घूम जाता

चाय के साथ रंग , जिंदगी , गर्माहट
और भाप के जीवन का साझापन
सामने आ जाता है
जब कुछ भी साथ नहीं होता
तो भी चाय का साथ मिल जाता

ठंड से कांप रही हथेलियों में
चाय की गिलास
एक गर्म अहसास को जोड़ देती
हाड़ कंपाती ठंड में
यह जो चाय की गिलास है
न जाने कितना कुछ रच देती कि
गर्माहट , आंच , उर्जा , ताजगी
सब एक साथ महसूस करने लगते हैं

चाय पीते हुए चाय की गर्माहट को महसूस करना
चाय के स्वाद और चाय के रंग से भी ज्यादा
ध्यान खींचता है
चाय के रंग में जीवन की आंच और ताप
साथ – साथ घुली होती है
चाय फीकी हो या मीठी
इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता

चाय बस चाय की तरह गर्म हो
और अपने आंच व ताप से
आसपास के मौसम को , समय को पिघला दें
इतना काफी होता है चाय की उपस्थिति में
दुनिया के आ जाने के लिए….!!
– विवेक कुमार मिश्र

(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)

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