
– विवेक कुमार मिश्र
साध्य और साधन के फेर में
तार्किक पड़े होते हैं
जिन्हें जीना होता है
वे सब साध लेते हैं
और अंततः कह देते हैं कि
जिंदगी साधनों का ढ़ेर नहीं है
जिंदगी तो बस जिंदगी है
पूरा मन जब जिंदगी में डूब जाता है
तो और भला क्या चाहिए….
जीने के लिए…!
@_विवेक
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