
-देवेंद्र यादव-

आखिर इतनी कशमकश में क्यों है राहुल गांधी! क्या मजबूरी है जो वह सब कुछ जानने के बावजूद कांग्रेस में सर्जरी नहीं कर पा रहे हैं! कुछ तो है जिसके कारण राहुल गांधी को पार्टी के भीतर सर्जरी करने में परेशानी हो रही है! गुजरात में 8 मार्च को कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कॉन्फिडेंस खत्म हो गया या कमजोर हो गया। हमें कार्यकर्ताओं के दिलों से उनके कॉन्फिडेंस को बाहर निकलना होगा। कार्यकर्ताओं का कॉन्फिडेंस तो मजबूत है और इसका प्रमाण कार्यकर्ताओं ने इस संवाद कार्यक्रम में राहुल गांधी को दिया था। जब राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस के भीतर भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के लोग आकर बैठ गए हैं उन्हें हमें पार्टी से बाहर निकालना होगा तब वहां पर उपस्थित कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से तालियां बजाकर राहुल गांधी की बात का स्वागत किया और समर्थन दिया। उन्होंने राहुल गांधी को एहसास कराया कि वह अपने दिल में छुपे कॉन्फिडेंस को बाहर निकालें और कांग्रेस के भीतर बड़ी सर्जरी करें। राहुल गांधी की कही बात पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं और राहुल गांधी की बात पर लोगों को भरोसा क्यों नहीं दिखाई दे रहा है। यह ठीक वैसा ही है जैसा राहुल गांधी 2014 के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियों के कारण देश और जनता को हो रहे नुकसान से एडवांस में अवगत करा रहे हैं। मगर देश और जनता को राहुल गांधी की बात समझ में नहीं आ रही है। क्या राहुल गांधी संगठन में भी अकेले हैं जैसे वह भारतीय जनता पार्टी से अकेले लड रहे हैं। उनके साथ कोई और नेता लड़ते हुए नजर नहीं आ रहा है ठीक वैसे ही राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के भीतर भी वही सब कुछ हो रहा है।
शायद इसी कश्मकश के कारण वह पार्टी में सर्जरी करने का बड़ा निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। इसका कारण यह है कि राहुल गांधी के पास सलाह देने वाले नेता भी वही है जो सर्जरी से डर रहे हैं क्योंकि नंबर उनका भी आ सकता है।
राहुल गांधी भले ही कांग्रेस के भीतर बड़ी सर्जरी ना करें लेकिन एक छोटा सा प्रयोग कर लें। बड़ी सर्जरी तो अपने आप हो जाएगी। जो नेता जवानी में कांग्रेस के भीतर आए थे और जिन्होंने सत्ता और संगठन की जमकर मलाई खाई उन नेताओं को पार्टी की जिम्मेदारियो से मुक्त कर देना चाहिए और एक साधारण कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह उन्हें अपने क्षेत्र में पहुंचा देना चाहिए। जैसे ही राहुल गांधी यह करेंगे लंबे समय से कुंडली मारकर बैठे नेता पद के बगैर कुंठित होकर या तो अपने घरों में बैठ जाएंगे या फिर वह स्वयं ही गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं की तरह पार्टी छोड़कर चले जाएंगे। बस राहुल गांधी यह प्रयोग करके देख लें उनको बड़ी सर्जरी करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
दूसरा राहुल गांधी को एक यह प्रयोग भी करना चाहिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को ग्रुप में बुलाकर समय-समय पर मिलना चाहिए और उनसे फीडबैक लेना चाहिए। ऐसा ही काम वह कार्यकर्ताओं के साथ भी करें। देश भर के कार्यकर्ताओं से अपने निवास स्थान पर मिलने का प्रबंध करें जैसे श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और कुछ समय तक सोनिया गांधी ने किया था। अपने निवास स्थान पर जनता दरबार लगाना शुरू करें। राहुल गांधी को देशभर में घूमने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। लोग अपनी समस्याओं को लेकर स्वयं राहुल गांधी के घर पहुंच जाएंगे। इससे राहुल गांधी को कांग्रेस के नेताओं की सच्चाई का भी ईमानदारी से पता चल जाएगा कि कांग्रेस के भीतर कौन नेता अपने क्षेत्र में ताकतवर है या कमजोर है। कांग्रेस को सर्वे के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















