
-रानी सिंह-

माँ ने चुना नदी होना
पलती हैं जिसमें प्रेम की
असंख्य मछलियाँ और सीपियाँ
जिसमें ममता का है अविरल प्रवाह
जो समाहित कर लेती है
दुनिया के तमाम कचरों को खुद में
जिसके स्नेहिल जलकण
सींचते हैं हृदय भूमि को
जिससे बना रहता है जीवन का हरापन
वहीं पिता ने चुना
पेड़ होना
धीर, गंभीर, स्थिर
मजबूती से जड़ों को जमीन में टिकाये
फलदार और छायादार
जिनके कोमल मन के हरे पत्ते
झूम उठते हैं
खुशियों भरे हवा के मंद-मंद झोंकों से।
©️ रानी सिंह
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