
-मनु वाशिष्ठ-

बेटियां होती हैं दोपहर की झपकी सी
जब भी आती है, उतार देती हैं थकान
झपकी देती है नई ऊर्जा,
दोपहर बाद
सांझ में कार्य करने के लिए
तो ऐसे ही…
बेटियां देती नवजीवन
संभाल जाती हैं,बिखरी अलमारियां
पुराने बिल, कागजात
दिखा जाती हैं धूप,कपड़े रजाई गद्दों को
भंडारे में रखे दाल, अनाज,अचार को
और दे जाती हैं नसीहत
अब खुद पर ध्यान दिया करो मां!
उम्र की सांझ में।
(कवयित्री व लेखिका मनु वशिष्ठ कोटा जंक्शन निवासी हैं)
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