
-डाँ आदित्य कुमार गुप्ता-

सुख दुख आते-जाते रहते ,
संसार सतत् चलता रहता ।
उच्चावच- समतल भूतल पर
जीवन का रथ बढ़ता रहता ।।
नाविक रख हिम्मत नाव चला,
विपरीत हवा भी चलती है।
तूफ़ा आते हैं जाते हैं,
ये क़िस्मत रंग बदलती है ।।1।।
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घूरे के भी दिन फिरते हैं
यह सुना बड़ों से है हमने।
ना समय एक सा रहता है,
नृप रंक हुये देखे हमने ।।
अनुकूल समय जब आता है
लोगों की दृष्टि बदलती है।
बदलें जीवन के दृश्य सभी,
ये क़िस्मत रंग बदलती है ।।2।।
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अँधे को आँखें मिल जाती,
लँगड़ा धावक बन जाता है।
जब ईश्वर कृपा करें तब ही,
जीवन का तरु लहराता है।।
खिल जाता सूखा चमन पुनः,
जब दुआ हृदय से मिलती है।
पीड़ा आती है,जाती है,
ये क़िस्मत रंग बदलती है।।3l
डाँ आदित्य कुमार गुप्ता
बी-38 मोतीनगर विस्तार बोरखेड़़ा कोटा ।

















