
ग़ज़ल
-शकूर अनवर-
ख़ुश नसीबी से दम नहीं निकला।
वर्ना क़ातिल भी कम नहीं निकला।।
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लोग निकले हैं ले के तलवारें।
और हमसे क़लम नहीं निकला।।
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उसकी बातों में है ग़ुरूर बहुत।
उसके लहजे से हम नहीं निकला।।
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जिनकी दानिशवरों में गिनती थी।
उनकी बातों में दम नहीं निकला।।
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हमने कोशिश तो की बहुत “अनवर”।
दिल से दुनिया का ग़म नहीं निकला।।
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ख़ुशनसीबी*सौभाग्य
ग़ुरूर*घमंड
लहजे*बात करने की शैली
दानिशवरों*बुद्धिजीवियों
शकूर अनवर
9460851271
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