
-मनु वाशिष्ठ-

मेरे पिता जैसा कोई नहीं__
मां बताती हैं…
वीडियो कॉल पर बात भी करवाती हैं
कमजोर हो गए हैं पिताजी
कुछ नहीं कहते, बस ताकते रहते
जीवन की सांध्य बेला में
शरीर से ही नहीं, याददाश्त से भी
उन्हें नहीं रहता अब कुछ भी याद
तभी तो भूल गए मेरी सारी शरारतें, गलतियां
और उनकी मर्जी के बिना किया गया विवाह
अक्सर पिताओं को याद रहती हैं
अपने बच्चों की गलतियां,
लेकिन मां ने बताया…
मेरे आने की खबर से, पिता को
अचानक से याद आई है अभी अभी
मेरी पसंद की नानखटाई और छोले भटूरे
पानीपूरी, जलेबी कचौरी की दुकान
मेरी सारी पसंद, नापसंद, नहीं भूले वह
घर लौटते हुए जरूर कुछ लाना
क्योंकि उन्हें पता था, हम बच्चों की निगाह
उनके साथ लिए बैग पर होती थी
जिसमें होती खट्टी मीठी लेमनचूस गोलियां
जिन्हें अब देना चाहते हैं, मेरे बच्चों को
मां ने बताया…
समय के साथ कमजोर पड़ी है नजर
लेकिन फिर भी देखते हैं, पुराने एलबम को
जिस में मुझे गले से लगाए खड़े हैं
और हाथ फेर कर महसूस करते हैं
मानो मैं उनके पास ही हूं
मेरे बाहर जाने पर, कुछ नहीं कहा
बस चुपचाप मेरे सारे इंतजाम करते रहे
मेरे लिए अनेक चिंताएं, अनकही दुआएं
देखा है कोरोना में भाग दौड़ करते हुए
अब लौटा हूं,
विदेश ना जाने के लिए
क्योंकि उन्हें नहीं देख सकता
इस तरह निरीह सा, जो थे मेरे आदर्श
कुछ भी कर सकने की सामर्थ्य वाले
अनमोल विरासत से हैं मेरे लिए
कमजोर तो हो गए हैं
लेकिन, मां ने बताया…
मेरे आने की खबर से,
मानो मिल गई है जीवनीशक्ति
अब भी मेरे इंतजार में देख कर आये हैं
कड़ी धूप में सड़क की छोर तक
मैं भी एक पिता ही हूं
लेकिन नहीं हूं अपने पिता जैसा
क्षमाशील और बच्चों की खुशी के लिए
अपने जज्बातों को छुपाने वाला
इतनी परवाह करने वाला
ये सबक ही हैं,
जो नहीं पढ़ाए जाते किसी किताब में
बस सीखते हैं पीढ़ी दर पीढ़ी
बड़ी देर से समझ आते हैं
और सोचता हूं कि
संसार में कोई भी पिता
अपने पिता से बेहतर नहीं हो सकता
(मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान)