
ग़ज़ल

शकूर अनवर
जब तेरे पाले पड़ेंगे।
जान के लाले पड़ेंगे।।
*
क्यों ज़ुबाॅं खोली है तुमने।
इस पे अब ताले पड़ेंगे।।
*
ये मुहब्बत की डगर है।
पांवों में छाले पड़ेंगे।।
*
सच तो उजला ही रहेगा।
झूठ सब काले पड़ेंगे।।
*
झुर्रियाॅं लाया बुढ़ापा।
ऑंखों में जाले पड़ेंगे।।
*
फिर तपा आसोज “अनवर”।
फिर हिरण काले पड़ेंगे।।
शकूर अनवर
Advertisement