
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस पर साथियों एक बात कहना चाहती हूं।
जब भी धरा पर जन्म लूं,
शिक्षक ही रहना चाहती हूं।
कागज कलम से ही बने,
एसी पहचान चाहती हूं।
कोरे पन्नों पर
रंगों की कूची चलाना चाहती हूं।
शिक्षक दिवस ………
जब भी धरा ………..
अज्ञानता रूपी उस अंधेरे को,
ज्ञान से रोशन करना चाहती हूं।
बच्चों के अन्तर्मन में
नए सपनों को बुनना चाहती हूं।
शिक्षक दिवस ………..
जब भी धरा …………
ईमानदारी अनुशासन का पाठ पढाना चाहती हूं।
मेहनत होती सार्थक एक दिन,
यह मन्त्र सिखाना चाहती हूं।
शिक्षक दिवस पर ………
जब भी धरा ………
कच्ची ईटों को मजबूत कर,
ईमारत एक बनाना चाहती हूं।
बनेगें जो कल देश का भविष्य,
एक अच्छा इन्सान बनाना चाहती हूं।
शिक्षक दिवस पर साथियों एक बात कहना चाहती हूं।
जब भी धरा पर
जन्म लूं
शिक्षक ही रहना चाहती हूं।
एकता शर्मा
कोटा।
राजस्थान