
-चाँद ‘शैरी’-

काले-काले बादल भी ला
उन नयनों का काजल भी ला
सच को तोल में रखना है
दरवाजे की सॉकल भी ला
सावन की रिमझिम रिमझिम में
छम-छम करती पायल भी ला
भर कर ऊपर तक उल्फ़त से
अपने मन की छागल भी ला
मीठी-मीठी बोली बोले
घर में ऐसी कोयल भी ला
‘शेरी’ अपनी ग़ज़लों में अब
गंगा-जमुना- चम्बल भी ला
चाँद ‘शैरी’ (कोटा)
098290-98530
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