हौसला और अज़्म अपने पास रखना। दुश्मनों के पास हैं हथियार देखो।।

shakoor anwar 129
शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

कम हुई है तेग़* की फिर धार देखो।
ज़ंग आलू दा* हुई तलवार देखो।।
*
रास्ते में है अभी मॅंझधार देखो।
नाव को लगने न देगी पार देखो।।
*
हौसला और अज़्म अपने पास रखना।
दुश्मनों के पास हैं हथियार देखो।।
*
इसमें मेरे क़त्ल की तफ़सील होगी*।
तुम उठाकर आज का अख़बार देखो।।
*
प्यार को हर वार से महफ़ूज़* रखना।
गिर न जाये रेत की दीवार देखो।।
*
मौत थी आसान “अनवर” कब यहाॅं पर।
ज़िंदगी भी हो गई दुश्वार देखो।।
*

तेग़*तलवार
ज़ग आलू दा*जंग लगी हुई
अज़्म*हौसला हिम्मत
तफ़सील* विवरण
महफूज़*सुरक्षित

शकूर अनवर

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