देव जाग रहें हैं यह जागरण की उर्जा बनी रहे …

ऊठो देव, बैठो देव,पाटकड्याँ खड़काओ देव, आँगळियाँ चटकाओ देव, बोर, भाजी आंवळा, ऊठो देव साँवळा....'

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भोर में उगता सूरज। फोटो विवेक कुमार मिश्र

-डॉ विवेक कुमार मिश्र-

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डॉ. विवेक कुमार मिश्र

गांव की सड़क से शहर की ओर अरसे बाद सुबह सुबह आना हो रहा था । गांव अपने स्थाई रंग, माटी भरे रंग जुते हुए खेत की गंध और अपने जमीनी रंग से अलग ही ध्यान खींचते हैं । सूर्य की लाल किरणें गांव पर तिरछे तिरछे पड़ रही कुछ इस तरह कि पूरे गांव पर छा जाती है। गांव के साथ दूर तक धरती का विस्तार, दूर छितिज पर उगते सूरज देव की लालिमा एक अलग ही आभा लेकर आ जाती है। सूरज देव जो कि सृष्टि मात्र में रचनात्मक ऊर्जा के चैतन्य विस्तार के और स्थिर संसार में गति को जोड़ने वाले होते हैं । इन रंग भरी किरणों के साथ सब अपनी जगह से थोड़ा हट कर थोड़ी नई दुनिया लेकर आ जाते हैं।

भोर में सूरज उगने की आहट देती आसमान में फैली लालिमा। फोटो विवेक कुमार मिश्र

सुबह सूरज आकाश में कूंची लेकर बैठ जाता और आकाश ही रंग उठता जिसकी अनंत छवियां हमारे आसपास के संसार पर उतरती रहती हैं। इन छवियों के साथ आकाश रंग रहा है वहीं सामने से सूर्य की किरणें नहरी प्रवाह में अपनी किरणों का एक अलग ही जादुई आभा घोल रही हैं सूरज की किरणें , बहते पानी का दृश्य और अनगढ़ तरीके से बढ़े बबूल के पेड़ खेत के किनारे किनारे उग पड़ी हरियाली झाड़ियां अलग ही ध्यान खींचती है । कभी कभार बाहर निकलें और जब निकलें तो क्लिक व्लिक कर लिया करें । इतना कुछ संसार में है कि बस देखते रहिए और मगन मन चलते रहिए ….चलते चलते सूरज देव को प्रणाम करते चलें कि यह रंग यह उर्जा यह उल्लास और उत्साह बना रहे । आज छोटी दीवाली है …देव जाग रहें हैं यह जागरण की उर्जा बनी रहे …।

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Neelam
Neelam
2 years ago

नितांत सत्य।देव जाग रहे हैं यह जागरण की ऊर्जा बनी रहे।

Vivek Mishra
Vivek Mishra
Reply to  Neelam
2 years ago

बहुत बहुत आभार मैडम