
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
मोरिंडा के फल पत्तियां और जड़ का उपयोग पारम्परिक चिकित्सा में किया जाता है। अपच, दस्त, चोट में इसका उपयोग प्रतिजैविक के रूप में किया जाता है।

वनस्पतिक रंजक * व्यापारिक नाम “सुरंजी” के रूप में मिलने वाली मोरिंडोन डाई बनाने के लिए उपयोग की जाती है। भारत में इसके पौधे की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। मोरिंडा वेजिटेबल डाई का उपयोग कपास, रेशम और ऊन को लाल, बैंगनी या चॉकलेट रंग में रंगने के लिए किया जाता है ।

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