
-देवव्रत हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा के स्वयंसेवी संगठन पगमार्क फाउंडेशन के संयोजक निमिष गौतम के पर्यावरण संरक्षण
की दृष्टि से चलाए गए अभियान ‘इको गणेशा’ के कीर्तिमान को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी प्रमाणित कर दिया है।
इस साल गणेश चतुर्थी महोत्सव पर प्लास्टिक ऑफ पेरिस से बनी भगवान गणेश की प्रतिमाओं को पानी में विसर्जित कर उसके रसायन से जलीय जंतुओं को होने वाली हानि और जल प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरणवादी कार्यकर्ता निमिष गौतम ने इको फ्रेंडली तरीके से भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनाकर उन्हें श्रद्धालुओं को निशुल्क उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया था ताकि अधिक से अधिक जनता के बीच जल-जीव-जन को प्रदूषण से संरक्षित करने के लिए उनमें जागरूकता का भाव उत्पन्न किया जा सके।
इस अभियान को मूर्त रूप देते हुए निमिष गौतम ने मिट्टी से करीब 10 इंच की भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई थी जिनमें फूल-सब्जियों के बीजों का समावेश किया गया था ताकि जलयुक्त मिट्टी में विघ्नहर्ता गजानन की इन प्रतिमाओं को गणेश चतुर्थी को विसर्जन के बाद यह बीज अंकुरित होकर और बाद में प्रस्फुटित होकर अपनी उपादेयता साबित करते हुए आमजन के बीच पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता एवं सावचेती का संदेश दे सके।
यह अभियान सफल भी रहा। निमिष गौत्तम ने सर्वाधिक 500 इको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाकर इस साल गणेश चतुर्थी महोत्सव के पहले 22 से 31 अगस्त के बीच उन्हें आम जनता को वितरित कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। लोगों ने 31 अगस्त को गणेश वक्रतुंड़ महाकाय गजोधर की गणेश चतुर्थी के पावन दिन पर इको फ्रेंडली प्रतिमाओं को किसी जल सूरत में व्यर्थ बहाने के बजाय चिरंजीवी याद के रूप में सहेजने के लिए अपने घरों के आंगन में गमलों, बगिया-फूलवारियों में विधि-विधान के साथ न केवल विसर्जित किया बल्कि बाद में उसे सींचा भी जिसका नतीजा यह निकला कि कल के रोपे हुए बीज अब प्रस्फ़ुटित होकर उचित फलदायक बन गए हैं।
पगमार्क फ़ाउंड़ेशन के संयोजक निमिष गौत्तम की एक सार्थक पहल को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने सराहा है और ऐसी सर्वाधिक प्रतिमाएं बनाने के रिकॉर्ड के रूप में दर्ज करके इस अनुकरणीय कार्य को मान्यता प्रदान की है जिसकी पुष्टि के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने निमिष गौतम को पिछले दिनों प्रमाणपत्र सौंपा है।