आप और कांग्रेस की राहें जुदा जुदा या एक !

यदि आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतरती है तो वह कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनेगी। साफ है कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के रास्ते टकरा सकते हैं। बेंगलुरू बैठक के पहले भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सामने दिल्ली सेवा विधेयक के समर्थन की शर्त रख दी थी। अंततः कांग्रेस ने उसकी बात मानी और राज्यसभा में आप का साथ दिया लेकिन चुनाव मोर्चे पर दोनों पार्टियों के हितों में टकराव के आसार हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन इंडिया के मंच पर एक साथ रहती हैं या नहीं।

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-द ओपिनियन-

दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शनिवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायुपर के दौरे हैं। छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव हैं और उनकी यात्रा भी आम आदमी पार्टी की चुनावी तैयारियों के सिलसिले में हो रही है। छत्तीसगढ़ वह राज्य है, जहां कांग्रेस को सबसे स्थिति में माना जाता है और वहां यदि आप चुनाव मैदान में आती है तो वह कांग्रेस की संभावनाओं पर असर डाल सकती है। प्रतिद्वंद्वी भाजपा सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रही है। हालत यह है कि उसने चुनाव तिथियों की घोषणा से पहले ही 29 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पार्टी ने ये प्रत्याशी उन सीटों पर घोषित किए हैं जहां उसकी स्थिति कमजोर है। ऐसे में यदि आप बीच में आती है तो कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है। इसलिए आप नेताओं के इस दौरे पर कांग्रेस की भी नजर है। कांग्रेस व आप के बीच दिल्ली की लोकसभा सीटों को लेकर भी अभी से खींचतान शुरू हो गई है। दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी के साथ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई जिसमें पार्टी को मजबूत करने की बात हुई और अगामी लोकसभा चुनावों पर भी चर्चा हुई। आप के साथ गठबंधन को लेकर मतभेद भी सामने आ गए। पार्टी की अलका लांबा ने कहा कि पार्टी सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस पर आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि जब कांग्रेस गठबंधन नहीं करना चाहती तो 31 अगस्त व 1 सितंबर को मुंबई में प्रस्तावित विपक्षी गठबंधन की बैठक में आप के भाग लेने का क्या अर्थ रह जाता है। हालांकि बाद में कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया ने अलका के बयान से दूरी बनाते हुए कहा कि यह पार्टी की अधिकृत राय नहीं है और अभी गठबंधन के प्रश्न पर बैठक में चर्चा नहीं हुई। लेकिन इन बयानों के बीच एक बात साफ है कि कांग्रेस का एक वर्ग दिल्ली में आप के साथ चुनावी गठबंधन के पक्ष में नहीं है। दूसरी ओर आप ने भी अपना एजेंडा और मकसद साफ कर दिया है। आप नेता अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा में यह कहकर पार्टी का चुनावी एजेंडा तय कर दिया कि आम आदमी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के एजेंडे पर चुनाव लडेगी। यानी आप की मंशा साफ है वह दिल्ली की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी । इस सियासी जुबानी जंग के बीच ही आज केजरीवाल और मान छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं। यदि आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतरती है तो वह कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनेगी। साफ है कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के रास्ते टकरा सकते हैं। बेंगलुरू बैठक के पहले भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सामने दिल्ली सेवा विधेयक के समर्थन की शर्त रख दी थी। अंततः कांग्रेस ने उसकी बात मानी और राज्यसभा में आप का साथ दिया लेकिन चुनाव मोर्चे पर दोनों पार्टियों के हितों में टकराव के आसार हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन इंडिया के मंच पर एक साथ रहती हैं या नहीं। केजरीवाल का छत्तीसगढ़ कार्यक्रम बहुत अहम है। केजरीवाल वहां लोगों को गारंटी कार्ड भी जारी करेंगे, जिसमें इस बात का जिक्र होगा कि पार्टी सत्ता में आई तो वह लोगों के लिए क्या-क्या काम करेगी। आम आदमी पार्टी ने 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत आजमाई थी और 90 में से 85 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी।

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