
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस आलाकमान को पार्टी को मजबूत करने के लिए नए चेहरों की खोज के बजाय उन लोगों की नियुक्ति करनी करना चाहिए जिनके परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी निस्वार्थ भाव से कांग्रेस की सेवा करते आ रहे हैं। देशभर में ऐसे कांग्रेस परिवारों की कमी नहीं है। वफादारी और निस्वार्थ भाव से कांग्रेस की सेवा करते आ रहे हैं लोगों की की बदौलत आज देश में कांग्रेस नजर आ रही है।


कांग्रेस हाई कमान और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को यह समझना होगा की आयातित लोगों को कांग्रेस में शामिल कर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने से पार्टी मजबूत नहीं होगी। कांग्रेस मजबूत होगी उन लोगों से और उन परिवारों से जो पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस की निस्वार्थ सेवा करते आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं की उपेक्षा के कारण वह लोग कुंठित हैं। उन लोगों के मन में नेताओं के प्रति कुंठा जरूर है मगर पार्टी के प्रति वफादारी उनके दिल में बरकरार है। राहुल गांधी को यह समझना होगा। कांग्रेस के बुरे वक्त में कांग्रेस को उन कार्यकर्ताओं ने नहीं छोड़ा जिनके पास ना तो सत्ता और ना ही संगठन में पद थे बल्कि उन नेताओं ने छोड़ा जिनके पास सत्ता और संगठन में पद थे। कांग्रेस छोड़ने वाले नेता लंबे समय से पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस के नाम की मलाई खा रहे थे। जब कांग्रेस का बुरा वक्त आया तब वह नेता कांग्रेस छोड़कर सत्ताधारी पार्टी में जाकर शामिल हो गए। राहुल गांधी को आयातित लोगों को बड़ी जिम्मेदारी देने की जगह कांग्रेस के उन कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देनी चाहिए जो पार्टी के प्रति अपनी वफादारी और ईमानदारी का इनाम मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के ऐसे अनेक परिवार हैं जिनका जनता में प्रभाव आयातित नेताओं से कहीं ज्यादा है मगर राजनीति के चलते उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है। जब राहुल गांधी ने गुजरात में भाजपा को हराकर कांग्रेस की सरकार बनाने की बात की थी तब मैंने अपने ब्लॉग में लिखा था कि उन परिवारों की खोज करनी होगी जिन परिवारों ने कांग्रेस और श्रीमती इंदिरा गांधी का बुरे वक्त में साथ दिया। 1980 में कांग्रेस ने केंद्र की सत्ता में वापसी की, और श्रीमती इंदिरा गांधी देश की फिर से प्रधानमंत्री बनी। राहुल गांधी और पार्टी हाई कमान में गुरुवार 17 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा की। वह दोनों नेता, उन परिवार के हिस्से हैं जिनके विश्वास और साथ के कारण कांग्रेस 1980 में सत्ता में आई थी। माधव सिंह सोलंकी और अमर सिंह चौधरी यह दोनों गुजरात में प्रभावशाली नेता थे और दोनों ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे। परिवार के दो लोगों अमित चावड़ा और डॉक्टर तुषार चौधरी को कांग्रेस ने गुजरात में बड़ी जिम्मेदारी दी है। अमित चावड़ा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और डॉक्टर तुषार चौधरी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इससे पहले राहुल गांधी ने गुजरात के युवा नेता रुतविक मकवाना को राष्ट्रीय सचिव बनाकर राजस्थान में कांग्रेस का राष्ट्रीय सह प्रभारी नियुक्त किया है।
गुजरात की तरह अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के पास ऐसे परिवार हैं जिनका प्रभाव अपने अपने राज्य में बरकरार है। लेकिन जरूरत है उन परिवारों की खोज कर उन्हें जिम्मेदारी देने की।
आयात कर कांग्रेस में नेता बनाने से बेहतर होगा कुंठित बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओं की खोज कर जिम्मेदारी देकर उन्हें नेता बनाने की।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)