rahul

-द ओपीनियन डेस्क-

एक ओर राहुल गांधी भारत जोडो यात्रा पर कांग्रेस को एकजुट करने के अभियान पर हैं दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष के चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति नजर आ रही है। राहुल गांधी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह पार्टी के अध्यक्ष पद पर वापसी के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे में पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर गैर गांधी उम्मीदवारों में होड़ की संभावना नजर आती है। लेकिन राहुल विरोधी खेमे के कुछ कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि कुछ राज्य इकाइयां गांधी परिवार के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करने वाले प्रस्ताव पारित कर सकती हैं। ये इकाइयां सोनिया गांधी से पार्टी प्रमुख के रूप में बने रहने का आग्रह कर सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो पार्टी अध्यक्ष को लेकर पुनः पुरानी स्थिति लौट आएगी। यानी कुछ भी बदलाव नहीं होगा। पार्टी वैसे ही अपने गठन के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। जहां कई प्रमुख नेता पार्टी छोड चुके हैं वहीं राज्यों में भी विधायक पाला बदलने से नहीं चूक रहे। ताजा घटनाक्रम गोवा का है। यह कांग्रेस के लिए तगडा झटका है।

राहुल गांधी किसी भी शर्त पर तैयार नहीं

दूसरी ओर राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने के लिए मनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वह किसी भी शर्त पर तैयार नहीं हैं। सोनिया गांधी भी चाहती हैं कि राहुल ही अध्यक्ष पद संभालें। एक तबका ऐसा है जो गैर गांधी परिवार को अध्यक्ष चाहता है। उनका मानना है कि इससे बेहतर मौका और कोई नहीं हो सकता। लेकिन जो गांधी परिवार को पार्टी की कमान संभाले रखने के पक्षधर नेता हैं वह येन केन प्रकारेण प्रयासों में जुटे हैं क्योंकि उनकी राजनीति गांधी परिवार पर ही निर्भर है।

भारत जोडो यात्रा को अच्छा माना जा रहा

वैसे राहुल गांधी की छवि में सुधार के लिए भारत जोडो यात्रा को अच्छा माना जा रहा है। उनको एक गंभीर नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए यह यात्रा अच्छा प्रयास साबित होगा। हालांकि अभी राहुल गांधी दक्षिण भारत में हैं इसलिए इसका इतना असर उत्तर भारत में नजर नहीं आ रहा है लेकिन जब वह इस क्षेत्र में आएंगे तभी असली परीक्षा होगी। इस क्षेत्र में ही उनकी गंभीर राजनेता वाली छवि को देखा जाएगा। वह जिस तरह दक्षिणी राज्यों में गरीबों से मिल रहे हैं उससे लोग काफी प्रभावित हैं लेकिन जिन तबकों को नजर अंदाज कर रहे हैं उसे उचित नहीं माना जा रहा।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव ढाक के तीन पात साबित होगा। पार्टी वर्तमान नेतृत्व के चलते दिनों दिन रसातल की ओर जा रही है यदि अब नहीं चेते तो कांग्रेस का भविष्य कागजों में बंद रह जायेगा।