कांग्रेस के वोट चोरी और भाजपा के भावनात्मक मुद्दों के सामने बिहार की जनता के मुद्दों का क्या होगा!

whats app image 2025 08 30 at 15 19 35 0121323af8
फोटो साभार आईएनसी

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
देवेन्द्र यादव

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 1 सितंबर को बिहार के पटना में वोटर के अधिकार यात्रा के समापन पर आयोजित जनसभा में भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मतदाता सूची में की जा रही हेरा फेरी को बड़े पैमाने पर जनता के बीच उजागर करेंगे। राहुल गांधी ने कहा था कि पहले उन्होंने वोट की चोरी को एटम बम के रूप में उजागर किया था, अब वह सारे देश में जनता के बीच हाइड्रोजन बम के रूप में वोट की चोरी को उजागर करेंगे। चीन यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले राजनीतिक हमला कांग्रेस और राजद पर किया। कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी स्वर्गवासी मां को गालियां देने का मामला उठाकर बिहार चुनाव में वोट चोरी के मुद्दे को बैअसर करेंगे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी पर जब भी राजनीतिक संकट खड़ा होता है तब वह भावनात्मक कार्ड खेलते हैं। जब राहुल गांधी 2017 के गुजरात चुनाव में नोटबंदी और जीएसटी को मुद्दा बना रहे थे तब राहुल गांधी के गब्बर सिंह टैक्स वाले मुद्दे को मोदी ने कांग्रेस के बड़े नेता मणि शंकर अय्यर के बयान पर भावनात्मक कार्ड खेलकर काउंटर किया और भाजपा को सफलता मिली। मोदी के भावनात्मक कार्ड ने भाजपा को अनेक बार सफलता दिलवाई। कर्नाटक और हिमाचल में मोदी का भावनात्मक कार्ड भाजपा के इसलिए काम नहीं आया क्योंकि कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी ने एक जनसभा में कहा कि मोदी हमेशा अपने दुखड़े रोते रहते हैं।
बिहार में अभी चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा नहीं की है। क्या बिहार चुनाव की घोषणा होने से पहले ही देश की दो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने मुद्दे सेट कर लिए। बिहार चुनाव में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन अन्य मुद्दों के साथ-साथ बड़ा मुद्दा वोट चोरी को बनाएगा। जबकि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावनात्मक मुद्दे को सबसे आगे रखेगी।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बिहार की जनता देश की दोनों प्रमुख पार्टीयों के सामने अपने कौन से मुद्दे रखेगी। क्या बिहार की जनता भाजपा और कांग्रेस के सामने पलायन रोको रोजगार दो, बेरोजगारी और महंगाई कम करो, बंद पड़े कारखाने को चालू करो और शिक्षा में पेपर लिक मामलों पर लगाम लगाओ के मुद्दे रखेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए बिहार विधानसभा का चुनाव अब महत्वपूर्ण चुनाव होता नजर आने लगा है। दोनों ही नेता बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हैं। राहुल गांधी ने बिहार में 17 दिन की वोटर का अधिकार यात्रा की थी। जिसमें बड़ी संख्या में जन समर्थन और सहयोग मिला। अब बिहार को इंतजार है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को बिहार की जनता को वर्चुअल संबोधित कर उनकी नब्ज को टटोला है। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता की नब्ज से ज्यादा कांग्रेस की नब्ज को समझते हैं। इसीलिए वह कांग्रेस पर विजय हासिल करते हैं। मोदी जानते हैं कांग्रेस के भीतर बयान वीर नेता अधिक है। कांग्रेस के नेताओं की इस कमजोरी का फायदा मोदी और भाजपा लगातार उठाती है। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस के नेता भाजपा के जाल में तुरंत फंस जाते हैं और मुगालता पाल लेते हैं कि भाजपा कमजोर है। जनता कांग्रेस की तरफ देख रही है और इसी गलतफहमी में वह समझ बैठते हैं कि अब तो अपनी सरकार बनने वाली है। वे आपस में कुर्सी के लिए झगड़ने लगते हैं। नतीजा यह होता है कि चुनाव परिणाम आने पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ती है। बिहार में भी राहुल गांधी की वोटर का अधिकार यात्रा से पहले और बाद कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच यही नजारा देखने को मिल रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव का राहुल गांधी के मंच से एक महिला के द्वारा उतारना और अपमानित करना है। यही वह कांग्रेस की नब्ज है जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के बाद से विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव और देश के आम चुनाव में उठाते आ रहे हैं। बिहार में मोदी का भावनात्मक मुद्दा चलेगा या नहीं इसका पता 4 सितंबर को आधे दिन का भाजपा की महिला मोर्चा द्वारा आयोजित बिहार बंद से पता चलेगा। यदि यह बंद सफल होता है तो नरेंद्र मोदी बिहार में भावनात्मक रैली भी निकाल सकते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक तीर से दो शिकार करने वाला भी होगा। एक तरफ बिहार का चुनाव तो दूसरी तरफ राहुल गांधी का मुद्दा वोट चोर गद्दी छोड़ के मुद्दे को काउंटर करने के लिए मोदी का भावनात्मक मुद्दा प्रमुख हथियार होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments