
-देवेन्द्र यादव-

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में 13 अगस्त मंगलवार के दिन उपस्थित पार्टी के राज्यों के अध्यक्ष राष्ट्रीय महामंत्री और प्रभारियो की उपस्थिति में कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि पूरे साल देश भर में कांग्रेस के कार्यक्रम चलेंगे जिसमें नेताओं की मौजूदगी अनिवार्य रहेगी। पार्टी समय-समय पर कांग्रेस के नेताओं के कार्यों की समीक्षा भी करेगी। सवाल यह है कि क्या लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तय कर लिया है कि अब कांग्रेस के नेताओं की रगड़ाई का दौरा शुरू होगा।
अभी तक तो कांग्रेस के भीतर बड़े नेताओं के दरवाजों की परिक्रमा कर छोटे नेता मलाईदार पद प्राप्त कर लेते थे मगर अब ऐसे नेताओं को कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं और जनता के दरबार में जाकर अपनी दस्तक देनी होगी, उसके बाद, पार्टी उनकी परफॉर्मेंस देखेगी, उसके आधार पर पद मिलेगा। क्योंकि यह निर्णय राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी ने लिया है इसलिए राहुल गांधी के बब्बर शेरों को भरोसा है कि पार्टी इस पर मजबूती से अमल करेगी वरना फैसले तो पार्टी ने इस तरह के कई बार लिए हैं, मगर हाई कमान की चार दिवारी के लगातार चक्कर काटने वाले नेताओं ने हमेशा पार्टी हाई कमान के निर्णय को वक्त वक्त पर पलटा है। हाई कमान के चक्कर काट कर नेताओं ने मलाईदार पद हथियाए हैं, मगर 13 अगस्त मंगलवार के दिन फैसला राहुल गांधी की मौजूदगी में हुआ है, इसलिए राहुल गांधी के बब्बर शेर खुश हो सकते हैं।
22 अगस्त से कांग्रेस केन्द्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। यह मलाईदार पदों पर बैठे नेताओं के लिए असल परीक्षा की घड़ी होगी।
क्योंकि राहुल गांधी लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर कर संघर्ष कर रहे हैं, मगर उनके संघर्ष में कांग्रेस के मलाईदार पदों पर बैठे नेताओं की उपस्थित कम दिखाई दी, इस कारण 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में जो सुखद परिणाम आने वाले थे वैसे परिणाम नहीं आए, क्योंकि कांग्रेस के भीतर ऐसे नेताओं की फौज अधिक है जिनकी जनता के बीच रगड़ाई नहीं हुई बल्कि हाई कमान की परिक्रमा कर पद हासिल कर सत्ता और संगठन की मलाई का आनंद लेते रहे।
कांग्रेस का आम कार्यकर्ता जिनकी बदौलत कांग्रेस आज देश में मजबूती के साथ नजर आ रही है, उनमें से कई ऐसे हैं जिनकी, कांग्रेस की सेवा करते-करते पीढिया गुजर गई मगर उन्हें सत्ता और संगठन के भीतर अभी तक किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिला।
13 अगस्त मंगलवार की तरह हर बार आम कार्यकर्ताओं को सुनने को मिलता है कि कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि यह होगा मगर जब फैसले की घड़ी आती है तब पार्टी का निर्णय बदल जाता है और मलाई उन्हीं नेताओं के हाथ लगती है जो नेता हाई कमान के नजदीक दिखाई देते हैं।
कांग्रेस चुनाव के वक्त प्रत्याशियों के चयन के लिए देशभर में सर्वे करवाती है। राहुल गांधी एक बार देश भर में कांग्रेस के भीतर ऐसे लोगों का भी सर्वे करवा कर देखें जो कार्यकर्ता सत्ता और संगठन में पद लेने का हकदार है जिसकी जनता के बीच सामाजिक और राजनीतिक पैठ है, और कांग्रेस के प्रति वफादार है।
वैसे राहुल गांधी की मौजूदगी में लिए गए निर्णय से, पग चंपी कर पद हासिल करने वाले नेता परेशान होंगे, क्योंकि उन्हें पद चंपी करने से फायदा हो रहा था। अब उन्हें अपने अपने क्षेत्र में जनता और कार्यकर्ताओं के बीच दौड़ना पड़ेगा। उन नेताओं के सामने समस्या यह है क्योंकि ना तो जनता और ना ही कांग्रेस का आम कार्यकर्ता उन्हें ठीक से जानता है, इसकी वजह यह है क्योंकि वह नेता जनता और कार्यकर्ताओं के बीच कभी गया ही नहीं और गया भी तो जनता और कार्यकर्ताओं को अपना रुतबा दिखाकर लौट आया। राहुल गांधी समझ रहे हैं कांग्रेस और राहुल गांधी के बुरे वक्त के समय उनके साथ कांग्रेस का आम कार्यकर्ता अपना सीना तानकर खड़ा हुआ था, और दरबारी नेता या तो कांग्रेस छोड़कर जा रहे थे या फिर अपने-अपने घरों में बैठकर मीडिया के भीतर ज्ञान बांट रहे थे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)
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