
-देवेंद्र यादव-

जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे कांग्रेस के छत्रपों के भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लड्डू फूटने लगे हैं। जैसे कांग्रेस ने हरियाणा में लड्डू को बिखरते देखा क्या कुछ वैसा ही लड्डू का बिखराव दिल्ली में भी देखने को मिलेगा। हालांकि कांग्रेस के हाथ से दिल्ली अभी दूर है मगर मीडिया और राजनीतिक गलियारों में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को लेकर जो खबरें तैर रही हैं, उन खबरों पर कांग्रेस हरियाणा की तरह दिल्ली में भी भारतीय जनता पार्टी के जाल में फंसती हुई नजर आ रही है।
मैंने कई बार अपने ब्लॉग में लिखा है कि कांग्रेस राज्यों के विधानसभा चुनाव में किस तरह से भारतीय जनता पार्टी के जाल में फंसती है और अंत में जीती बाजी को भ्रम और अति उत्साह में अपना नुकसान करती है और चुनाव हार जाती है।
भारतीय जनता पार्टी माहौल बनाती है कि जनता के बीच उसका विरोध है और कांग्रेस यह सोचकर उत्साहित हो जाती है की भाजपा का विरोध है इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अंडरग्राउंड ऐसा प्रचार करते हैं कि जब चुनाव के परिणाम आते हैं तो कांग्रेस हाथ मलती रह जाती है। कांग्रेस को नुकसान कार्यकर्ताओं की उदासी के कारण नहीं होता है। कार्यकर्ता तो चुनाव को लेकर गंभीर और उत्साहित भी होते हैं मगर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कई नेताओं के मन में लड्डू फूटते हैं और पता भी नहीं चलता कि यह नेता लड्डू की जगह कांग्रेस को फोड़ देते हैं। कांग्रेस ने हरियाणा में यही देखा। हरियाणा में जिन नेताओं के मन में लड्डू फूटे थे उन नेताओं ने कांग्रेस को ही फोड़ डाला और कांग्रेस चुनाव हार गई। हरियाणा ही नहीं ऐसा कांग्रेस के साथ विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है। हरियाणा से पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के उदाहरण हैं, जहां लगता था कि जनता के बीच भारतीय जनता पार्टी का विरोध है। जनता कांग्रेस के पक्ष में है और इसी मुगालते ने राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में छत्रपों के मन में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लड्डू फूट गए और कांग्रेस को तीनों ही राज्यों में हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस को दिल्ली में यह मुगालता नहीं पालना चाहिए कि कांग्रेस मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगी तो सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को नुकसान होगा। इस नुकसान का फायदा कांग्रेस को मिलेगा। कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में अपने बड़े-बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया। अब उन्हीं नेताओं के मन में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर शायद लड्डू फूटने लगे हैं। इन नेताओं को हरियाणा के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उदय भान को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ना होगा वरना लड्डू मुंह का जायका भी बिगाड़ सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)