
-देवेंद्र यादव-

राष्ट्रीय स्टार प्रचारकों की सूची में शुमार गांधी परिवार की भरोसेमंद राज्यसभा सांसद रंजीता रंजन को कांग्रेस की पार्लियामेंट्री पार्टी में सेक्रेटरी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है !
संसद से लेकर सड़क तक आम जनता की आवाज को बुलंद करने वाली कांग्रेस की फायर ब्रांड नेत्री रंजीता रंजन, ने गांधी परिवार और कांग्रेस का विश्वास जीता और उस विश्वास के कारण और गांधी परिवार के भरोसे की बदौलत रंजीता रंजन को छत्तीसगढ़ से कांग्रेस हाई कमान ने राज्यसभा पहुंचाया, जबकि यह कांग्रेस के लिए एक विकट दौर था। यह कहना गलत नहीं होगा की कांग्रेस के सामने एक अनार सौ बीमार वाली कहावत थी। कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज नेता खाली बैठे थे, ना तो वह राज्यसभा में और ना ही लोकसभा के सदस्य थे और इंतजार कर रहे थे की पार्टी हाई कमान उन्हें राज्यसभा भेजे। मगर गांधी परिवार चाहता था कि पार्टी के प्रति वफादार और ईमानदार व्यक्ति राज्यसभा में पहुंचे और उसमें एक नाम था रंजीता रंजन का जिन्हें पार्टी ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में पहुंचाया।
कांग्रेस ने कुछ ही समय पहले अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। इस सूची में भी रंजीता रंजन का नाम शामिल था। 12 सितंबर को कांग्रेस ने रंजीता रंजन को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी का सेक्रेटरी बनाकर एक और बड़ी जिम्मेदारी दी है।
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले, रंजीता रंजन ने एक ऐसा प्रयास किया जिसकी बदौलत बिहार में कांग्रेस मजबूत हुई और कांग्रेस ने लंबे समय बाद तीन लोकसभा सीट जीती। रंजीता रंजन के पति राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया। यदि बिहार में कांग्रेस लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के दबाव में नहीं आती और पूर्णिया से पप्पू यादव को टिकट देती तो, कांग्रेस बिहार में आधा दर्जन से भी ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करती। बिहार में खासकर सीमांचल वाले इलाकों में और बिहार से लगे झारखंड के कई जिलों में पप्पू यादव और रंजीता रंजन का खासा प्रभाव है। यदि कांग्रेस झारखंड में चुनाव प्रभारी श्रीमती रंजीता रंजन को बनाकर भेज दे तो कांग्रेस को बड़ा फायदा होगा, क्योंकि बिहार के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र में पप्पू यादव की पकड़ मजबूत है, इसलिए इंडिया गठबंधन का सदस्य होने के नाते पप्पू यादव को झारखंड चुनाव की जिम्मेदारी देनी चाहिए।
राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर हैं।राहुल गांधी को अमेरिका दौरे के बाद, एक दौरा बिहार का भी करना चाहिए। कांग्रेस को बिहार में राजद के भरोसे ही नहीं रहना चाहिए क्योंकि बिहार में कांग्रेस लंबे समय से राजद के साथ है। साथ रहने से कांग्रेस को कोई बड़ा फायदा नहीं मिल रहा है बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी तीन सीट गवाई हैं। यदि पप्पू यादव को पूर्णिया से कांग्रेस चुनाव मैदान में उतारती तो कांग्रेस को तीन सीटों का फायदा होता। यह बात अब पुरानी हो गई मगर अब बिहार में कांग्रेस को एक नई कांग्रेस खड़ा करने की जरूरत है। बिहार में कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। कमी है तो लीडरशिप की। कांग्रेस को बिहार में नई लीडरशिप खड़ी करनी होगी और इसकी जिम्मेदारी अपनी भरोसेमंद नेता रंजीता रंजन को देना चाहिए।
वैसे जिस तरह से पार्टी हाई कमान रंजीता रंजन पर विश्वास जता रहा है और उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर नवाजा जा रहा है उससे लगता है कि राहुल गांधी रंजीता रंजन के हाथों में बिहार की कमान देंगे। बिहार के आम कांग्रेस जन दबी जुबान चर्चा करते हैं कि बिहार कांग्रेस संगठन के अधिकांश नेता लालू और तेजस्वी यादव के इशारों पर काम करते हैं। ऐसे में बिहार में कांग्रेस कहां मजबूत होगी। बिहार में कांग्रेस को ऐसा नेता चाहिए जो पार्टी के प्रति वफादार हो और बिहार कांग्रेस के आम जनों को साथ लेकर चले। कांग्रेस ने भाजपा छोड कांग्रेस में शामिल हुए नाना पटोले को महाराष्ट्र की कमान दी, थी वैसी ही कमान बिहार में देनी चाहिए। महाराष्ट्र में लंबे समय से शरद पवार की पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में है। जब महाराष्ट्र में कांग्रेस में शरद पवार का कोई द खल नहीं है तो फिर कांग्रेस बिहार में लालू प्रसाद यादव के दबाव में क्यों आती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

















